वे गतसमनी नामक स्थान में आए। येशु ने अपने शिष्यों से कहा, “तुम लोग यहाँ बैठे रहो। मैं तब तक प्रार्थना करूँगा।” वह पतरस, याकूब और योहन को अपने साथ ले गये। वह व्यथित तथा व्याकुल होने लगे और उनसे बोले, “मैं अत्यन्त व्याकुल हूँ मानो मेरे प्राण निकल रहे हों! तुम यहाँ ठहरो और जागते रहो।” वह कुछ आगे बढ़े और भूमि पर मुँह के बल गिर कर यह प्रार्थना करने लगे कि यदि संभव हो, तो यह घड़ी उन से टल जाए। उन्होंने कहा, “अब्बा! पिता! तेरे लिए सब कुछ सम्भव है। यह प्याला मुझ से हटा ले; किन्तु मेरी इच्छा नहीं, तेरी इच्छा पूरी हो।” येशु अपने शिष्यों के पास गये और उन्हें सोया हुआ देख कर पतरस से बोले, “सिमोन! सोते हो? तुम घण्टे भर भी नहीं जाग सके? तुम सब जागते रहो और प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम परीक्षा में न पड़ो। आत्मा तो तत्पर है, परन्तु शरीर दुर्बल।” उन्होंने फिर जा कर उन्हीं शब्दों को दुहराते हुए प्रार्थना की। लौटने पर उन्होंने अपने शिष्यों को फिर सोया हुआ पाया, क्योंकि उनकी आँखें बहुत भारी हो रही थीं। वे नहीं जानते थे कि क्या उत्तर दें। येशु जब तीसरी बार अपने शिष्यों के पास आए, तो उन्होंने उन से कहा, “अब तक सो रहे हो? अब तक आराम कर रहे हो? बस! बहुत हुआ! वह घड़ी आ गयी है। देखो! मानव-पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जा रहा है। उठो! हम चलें। देखो, मुझे पकड़वाने वाला निकट आ गया है।”
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