येशु महापुरोहितों, शास्त्रियों और धर्मवृद्धों से दृष्टान्तों में कहने लगे : “किसी मनुष्य ने अंगूर का उद्यान लगाया। उसने उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा; उस में रस का कुण्ड खुदवाया और पक्का मचान बनवाया। तब उसे किसानों को पट्टे पर देकर वह परदेश चला गया। समय आने पर उसने अंगूर की फसल का हिस्सा वसूल करने के लिए किसानों के पास एक सेवक को भेजा। किसानों ने सेवक को पकड़ कर मारा-पीटा और खाली हाथ लौटा दिया। उसने एक दूसरे सेवक को भेजा। उन्होंने उसका सिर फोड़ दिया और उसे अपमानित किया। उसने एक और सेवक को भेजा और उन्होंने उसे मार डाला। इसके बाद उसने और बहुत सेवकों को भेजा। उन्होंने उनमें से कुछ लोगों को पीटा और कुछ को मार डाला। अब उसके पास केवल एक बच रहा−उसका प्रिय पुत्र। अन्त में उसने यह सोच कर उसे उनके पास भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। किन्तु किसानों ने आपस में कहा, ‘यह तो उत्तराधिकारी है। चलो, हम इसे मार डालें और तब इसकी पैतृक-सम्पत्ति हमारी हो जाएगी।’ अत: उन्होंने उसे पकड़ कर मार डाला और अंगूर-उद्यान के बाहर फेंक दिया। अब अंगूर-उद्यान का स्वामी क्या करेगा? वह आ कर उन किसानों का वध करेगा और अपना अंगूर-उद्यान दूसरों को दे देगा। “क्या तुम लोगों ने धर्मग्रन्थ में यह नहीं पढ़ा? ‘कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर फेंक दिया था, वही कोने की नींव का पत्थर बन गया है। यह प्रभु का कार्य है और हमारी दृष्टि में अद्भुत है।’ ” वे समझ गये कि येशु का यह दृष्टान्त हमारे ही विषय में है। अत: वे उन्हें गिरफ्तार करने का उपाय ढूँढ़ने लगे। किन्तु वे जनता से डरते थे, इसलिए वे उन्हें छोड़ कर चले गये। उन्होंने येशु के पास फरीसी और हेरोदेस-दल के कुछ लोगों को भेजा, जिससे वे उन्हें उनकी अपनी बात के जाल में फँसाएँ। वे आ कर उनसे बोले, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्चे हैं और आप किसी की परवाह नहीं करते। आप मुँह-देखी बात नहीं कहते, बल्कि सच्चाई से परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। बताइए, व्यवस्था की दृष्टि में रोमन सम्राट को कर देना उचित है या नहीं? हम उन्हें दें या नहीं दें?” उनका छल-कपट भाँप कर येशु ने कहा, “मेरी परीक्षा क्यों लेते हो? एक सिक्का लाओ और मुझे दिखाओ।” वे एक सिक्का लाए। येशु ने उन से पूछा, “यह किसकी आकृति और किसका लेख है?” उन्होंने उत्तर दिया, “रोमन सम्राट का।” इस पर येशु ने उनसे कहा, “जो सम्राट का है, वह सम्राट को दो और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।” येशु की यह बात सुन कर वे आश्चर्य-चकित हो गये।
मारकुस 12 पढ़िए
सुनें - मारकुस 12
साझा करें
सभी संस्करणों की तुलना करें: मारकुस 12:1-17
छंद सहेजें, ऑफ़लाइन पढ़ें, शिक्षण क्लिप देखें, और बहुत कुछ!
होम
बाइबिल
योजनाएँ
वीडियो