दूसरे दिन जब येशु और उनके शिष्य बेतनियाह से आ रहे थे, तो येशु को भूख लगी। वह कुछ दूरी पर पत्तेदार अंजीर का एक पेड़ देख कर उसके पास गये कि शायद उस पर कुछ फल मिलें; किन्तु पेड़ के पास आने पर उन्होंने उसमें पत्तों के अतिरिक्त और कुछ नहीं पाया, क्योंकि वह अंजीर का मौसम नहीं था। येशु ने पेड़ से कहा, “अब से तेरे फल कोई कभी न खाये।” उनके शिष्यों ने उन्हें यह कहते सुना। तब येशु और उनके शिष्य यरूशलेम आए। येशु ने मन्दिर में प्रवेश किया और मन्दिर में क्रय-विक्रय करने वालों को वहाँ से बाहर निकालने लगे। उन्होंने सराफों की मेजें और कबूतर बेचने वालों की चौकियाँ उलट दीं और किसी को भी मन्दिर से होकर सामान आदि ले जाने नहीं दिया। उन्होंने लोगों को शिक्षा देते हुए कहा, “क्या धर्मग्रन्थ में यह नहीं लिखा है : ‘मेरा घर सब जातियों के लिए प्रार्थना का घर कहलाएगा’? परन्तु तुम लोगों ने उसे लुटेरों का अड्डा बना दिया है।” महापुरोहितों तथा शास्त्रियों ने यह सुना, तो वे येशु का विनाश करने का उपाय ढूँढ़ने लगे। पर वे उन से डरते थे, क्योंकि समस्त जनसमुदाय येशु की शिक्षा से चकित था। सन्ध्या हो जाने पर येशु और उनके शिष्य नगर के बाहर चले गए। प्रात:काल जब वे उधर से जा रहे थे तो शिष्यों ने देखा कि अंजीर का वह पेड़ जड़ से सूख गया है। पतरस को वह बात याद आयी और उसने कहा, “गुरुवर! देखिए, अंजीर का वह पेड़, जिसे आपने शाप दिया था, सूख गया है।” येशु ने उत्तर दिया, “परमेश्वर में विश्वास करो। मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, यदि कोई इस पहाड़ से यह कहे, ‘उठ और समुद्र में जा गिर’, और मन में सन्देह न करे, बल्कि यह विश्वास करे कि मैं जो कह रहा हूँ वह पूरा होगा, तो उसके लिए वैसा ही हो जाएगा। इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, तुम जो कुछ प्रार्थना में माँगते हो, विश्वास करो कि वह तुम्हें मिल गया है और वह तुम्हें दिया जाएगा। “जब तुम प्रार्थना के लिए खड़े हो और तुम्हें किसी से कोई शिकायत हो, तो उसे क्षमा कर दो, जिससे तुम्हारा स्वर्गिक पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा कर दे।”
मारकुस 11 पढ़िए
सुनें - मारकुस 11
शेयर
सभी संस्करण की तुलना करें: मारकुस 11:12-25
छंद सहेजें, ऑफ़लाइन पढ़ें, शिक्षण क्लिप देखें, और बहुत कुछ!
होम
बाइबिल
योजनाएँ
वीडियो