मत्ती 9:9-17

मत्ती 9:9-17 HINCLBSI

येशु वहाँ से आगे बढ़े। उन्‍होंने मत्ती नामक व्यक्‍ति को चुंगी-घर में बैठा हुआ देखा और उससे कहा, “मेरे पीछे आओ”, और वह उठ कर उनके पीछे हो लिया। जब येशु घर में भोजन करने बैठे तब अनेक चुंगी-अधिकारी और पापी जन आए। वे भी येशु और उनके शिष्‍यों के साथ भोज में सम्‍मिलित हो गए। यह देख कर फरीसियों ने उनके शिष्‍यों से कहा, “तुम्‍हारे गुरु चुंगी-अधिकारियों और पापियों के साथ क्‍यों भोजन कर रहे हैं?” येशु ने यह सुन कर उन से कहा, “निरोगों को नहीं, किन्‍तु रोगियों को वैद्य की आवश्‍यकता होती है। जा कर सीखो कि इस कथन का क्‍या अर्थ है : ‘मैं बलिदान नहीं, बल्‍कि दया चाहता हूँ।’ मैं धार्मिकों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।” तब योहन के शिष्‍य आए और यह बोले, “क्‍या कारण है कि हम और फरीसी बहुत उपवास करते हैं, किन्‍तु आपके शिष्‍य उपवास नहीं करते?” येशु ने उन से कहा, “जब तक दूल्‍हा साथ है, क्‍या बाराती शोक मना सकते हैं? किन्‍तु वे दिन आएँगे, जब दूल्‍हा उन से ले लिया जाएगा। तब वे उपवास करेंगे। “कोई पुराने कपड़े पर कोरे कपड़े का पैबंद नहीं लगाता, क्‍योंकि वह पैबंद सिकुड़ कर पुराना कपड़ा फाड़ देता है और चीर बढ़ जाती है। इसी प्रकार लोग पुरानी मशकों में नया दाखरस नहीं भरते। नहीं तो मशकें फट जाती हैं, दाखरस बह जाता है और मशकें बरबाद हो जाती हैं। लोग नया दाखरस नयी मशकों में भरते हैं। इस प्रकार दोनों ही सुरक्षित रहते हैं।”