मत्ती 6:25-34

मत्ती 6:25-34 HINCLBSI

“मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्‍ता मत करो − न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्‍या खायें अथवा क्‍या पीयें और न अपने शरीर की, कि हम क्‍या पहनें। क्‍या जीवन भोजन से बढ़ कर नहीं? और क्‍या शरीर कपड़े से बढ़ कर नहीं? आकाश के पक्षियों को देखो। वह न तो बोते हैं, न लुनते हैं और न बखारों में जमा करते हैं। फिर भी तुम्‍हारा स्‍वर्गिक पिता तुम्‍हें खिलाता है। क्‍या तुम उनसे बढ़ कर नहीं हो? चिन्‍ता करने से तुम में से कौन अपनी आयु एक घड़ी भर भी बढ़ा सकता है? और कपड़ों की चिन्‍ता क्‍यों करते हो? खेत के फूलों से सीखो। वे कैसे बढ़ते हैं! वे न तो श्रम करते हैं और न कातते हैं। फिर भी मैं तुम से कहता हूँ कि राजा सुलेमान अपने समस्‍त वैभव में उन में से किसी एक के समान विभूषित नहीं था। ओ अल्‍पविश्‍वासियो! यदि परमेश्‍वर मैदान की घास को, जो आज भर है और कल आग में झोंक दी जाएगी, इस प्रकार पहनाता है, तो वह तुम्‍हें क्‍यों नहीं पहनाएगा? “इसलिए चिन्‍ता मत करो। यह मत कहो कि हम क्‍या खाएँगे, क्‍या पियेंगे, क्‍या पहनेंगे। इन सब वस्‍तुओं की खोज तो अन्‍यजातियाँ करती हैं। तुम्‍हारा स्‍वर्गिक पिता जानता है कि तुम्‍हें इन सभी वस्‍तुओं की जरूरत है। तुम सब से पहले परमेश्‍वर के राज्‍य और उसकी धार्मिकता की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएँ भी तुम्‍हें मिल जाएँगी। अत: कल की चिन्‍ता मत करो। कल अपनी चिन्‍ता स्‍वयं कर लेगा। आज का दु:ख आज के लिए ही बहुत है।

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मत्ती 6:25-34 - “मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्‍ता मत करो − न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्‍या खायें अथवा क्‍या पीयें और न अपने शरीर की, कि हम क्‍या पहनें। क्‍या जीवन भोजन से बढ़ कर नहीं? और क्‍या शरीर कपड़े से बढ़ कर नहीं? आकाश के पक्षियों को देखो। वह न तो बोते हैं, न लुनते हैं और न बखारों में जमा करते हैं। फिर भी तुम्‍हारा स्‍वर्गिक पिता तुम्‍हें खिलाता है। क्‍या तुम उनसे बढ़ कर नहीं हो? चिन्‍ता करने से तुम में से कौन अपनी आयु एक घड़ी भर भी बढ़ा सकता है? और कपड़ों की चिन्‍ता क्‍यों करते हो? खेत के फूलों से सीखो। वे कैसे बढ़ते हैं! वे न तो श्रम करते हैं और न कातते हैं। फिर भी मैं तुम से कहता हूँ कि राजा सुलेमान अपने समस्‍त वैभव में उन में से किसी एक के समान विभूषित नहीं था। ओ अल्‍पविश्‍वासियो! यदि परमेश्‍वर मैदान की घास को, जो आज भर है और कल आग में झोंक दी जाएगी, इस प्रकार पहनाता है, तो वह तुम्‍हें क्‍यों नहीं पहनाएगा?
“इसलिए चिन्‍ता मत करो। यह मत कहो कि हम क्‍या खाएँगे, क्‍या पियेंगे, क्‍या पहनेंगे। इन सब वस्‍तुओं की खोज तो अन्‍यजातियाँ करती हैं। तुम्‍हारा स्‍वर्गिक पिता जानता है कि तुम्‍हें इन सभी वस्‍तुओं की जरूरत है। तुम सब से पहले परमेश्‍वर के राज्‍य और उसकी धार्मिकता की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएँ भी तुम्‍हें मिल जाएँगी। अत: कल की चिन्‍ता मत करो। कल अपनी चिन्‍ता स्‍वयं कर लेगा। आज का दु:ख आज के लिए ही बहुत है।मत्ती 6:25-34 - “मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्‍ता मत करो − न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्‍या खायें अथवा क्‍या पीयें और न अपने शरीर की, कि हम क्‍या पहनें। क्‍या जीवन भोजन से बढ़ कर नहीं? और क्‍या शरीर कपड़े से बढ़ कर नहीं? आकाश के पक्षियों को देखो। वह न तो बोते हैं, न लुनते हैं और न बखारों में जमा करते हैं। फिर भी तुम्‍हारा स्‍वर्गिक पिता तुम्‍हें खिलाता है। क्‍या तुम उनसे बढ़ कर नहीं हो? चिन्‍ता करने से तुम में से कौन अपनी आयु एक घड़ी भर भी बढ़ा सकता है? और कपड़ों की चिन्‍ता क्‍यों करते हो? खेत के फूलों से सीखो। वे कैसे बढ़ते हैं! वे न तो श्रम करते हैं और न कातते हैं। फिर भी मैं तुम से कहता हूँ कि राजा सुलेमान अपने समस्‍त वैभव में उन में से किसी एक के समान विभूषित नहीं था। ओ अल्‍पविश्‍वासियो! यदि परमेश्‍वर मैदान की घास को, जो आज भर है और कल आग में झोंक दी जाएगी, इस प्रकार पहनाता है, तो वह तुम्‍हें क्‍यों नहीं पहनाएगा?
“इसलिए चिन्‍ता मत करो। यह मत कहो कि हम क्‍या खाएँगे, क्‍या पियेंगे, क्‍या पहनेंगे। इन सब वस्‍तुओं की खोज तो अन्‍यजातियाँ करती हैं। तुम्‍हारा स्‍वर्गिक पिता जानता है कि तुम्‍हें इन सभी वस्‍तुओं की जरूरत है। तुम सब से पहले परमेश्‍वर के राज्‍य और उसकी धार्मिकता की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएँ भी तुम्‍हें मिल जाएँगी। अत: कल की चिन्‍ता मत करो। कल अपनी चिन्‍ता स्‍वयं कर लेगा। आज का दु:ख आज के लिए ही बहुत है।

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