मत्ती 28:1-15

मत्ती 28:1-15 HINCLBSI

विश्राम-दिवस के बाद, सप्‍ताह के प्रथम दिन, पौ फटते ही मरियम मगदलेनी और दूसरी मरियम कबर देखने आयीं। एकाएक भारी भूकम्‍प हुआ और प्रभु का एक दूत स्‍वर्ग से उतरा। वह कबर के पास आया और पत्‍थर लुढ़का कर उस पर बैठ गया। उसका मुखमण्‍डल बिजली की तरह चमक रहा था और उसके वस्‍त्र हिम के समान उज्‍ज्‍वल थे। दूत को देख कर पहरेदार थर-थर काँपने लगे और मृतक-जैसे हो गये। स्‍वर्गदूत ने स्‍त्रियों से कहा, “डरिए नहीं। मैं जानता हूँ कि आप लोग येशु को ढूँढ़ रही हैं, जो क्रूस पर चढ़ाए गये थे। वह यहाँ नहीं हैं। वह जी उठे हैं, जैसा कि उन्‍होंने कहा था। आइए और वह जगह देख लीजिए, जहाँ वह रखे गये थे। अब आप तुरन्‍त उनके शिष्‍यों के पास जाकर कहिए, ‘वह मृतकों में से जी उठे हैं। वह आप लोगों से पहले गलील प्रदेश जाएँगे। वहाँ आप लोग उनके दर्शन करेंगे।’ देखिए, मैंने आप लोगों को संदेश दे दिया है।” स्‍त्रियाँ शीघ्र ही कबर के पास से चली गयीं और विस्‍मय तथा बड़े आनन्‍द के साथ उनके शिष्‍यों को यह समाचार सुनाने दौड़ीं। येशु एकाएक मार्ग में उन स्‍त्रियों से मिले और बोले, “सुखी रहो!” वे येशु के समीप गईं और उनके चरणों को पकड़ कर उनकी वंदना की। येशु ने उनसे कहा, “डरो नहीं। जाओ और मेरे भाइयों को यह सन्‍देश दो कि वे गलील प्रदेश को जाएँ। वहाँ वे मेरे दर्शन करेंगे।” स्‍त्रियाँ मार्ग में ही थीं कि कुछ पहरेदार नगर में आए। उन्‍होंने महापुरोहितों को सब घटनाएँ सुनाईं। महापुरोहितों ने धर्मवृद्धों से मिल कर परामर्श किया और सैनिकों को एक मोटी रकम देकर कहा, “लोगों से कहना कि रात को जब हम सोये हुए थे, तो येशु के शिष्‍य आए और उसे चुरा ले गये। यदि यह बात राज्‍यपाल के कान में पड़ गयी, तो हम उन्‍हें समझा देंगे और तुम्‍हारे लिए चिन्‍ता की कोई बात न होगी।” पहरेदारों ने रुपया ले लिया और वैसा ही किया, जैसा उन्‍हें सिखाया गया था। यही कहानी फैल गयी और अब तक यहूदी लोगों में प्रचलित है।