सन्ध्या हो जाने पर अरिमतियाह नगर का एक धनी सज्जन आया। उसका नाम यूसुफ था। वह स्वयं येशु का शिष्य बन गया था। उसने पिलातुस के पास जाकर येशु का शव माँगा और पिलातुस ने आदेश दिया कि शव उसे सौंप दिया जाए। यूसुफ ने शव ले जाकर उसे स्वच्छ मलमल के कफन में लपेटा और उस नई कबर में रख दिया, जिसे उसने अपने लिए चट्टान में खुदवाया था। वह कबर के द्वार पर बड़ा पत्थर लुढ़का कर चला गया। मरियम मगदलेनी और दूसरी मरियम वहाँ कबर के सामने बैठी हुई थीं।
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