उस समय येशु ने भीड़ से कहा, “क्या तुम लोग मुझे डाकू समझते हो, जो तलवारें और लाठियाँ ले कर मुझे पकड़ने आए हो? मैं तो प्रतिदिन मन्दिर में बैठ कर शिक्षा दिया करता था, फिर भी तुम ने मुझे गिरफ्तार नहीं किया।
यह सब इसलिए हुआ कि नबियों के ग्रन्थों में जो लिखा है, वह पूरा हो जाए।” तब सब शिष्य येशु को छोड़कर भाग गये।
जिन्होंने येशु को गिरफ्तार किया था, वे उन्हें प्रधान महापुरोहित काइफा के यहाँ ले गये, जहाँ शास्त्री और धर्मवृद्ध इकट्ठे हो गये थे। पतरस कुछ दूरी पर येशु के पीछे-पीछे गया। वह प्रधान महापुरोहित के भवन के आंगन तक गया और परिणाम जानने के लिए भीतर जाकर सेवकों के साथ बैठ गया।
महापुरोहित और सारी धर्म-महासभा येशु को मार डालने के उद्देश्य से उनके विरुद्ध झूठी गवाही खोज रही थी, परन्तु वह मिली नहीं, यद्यपि बहुत-से झूठे गवाह सामने आए। अन्त में दो गवाह आकर बोले, “इस व्यक्ति ने कहा था, ‘मैं परमेश्वर का मन्दिर ढा सकता हूँ और तीन दिनों में उसे फिर बना सकता हूँ।” इस पर प्रधान महापुरोहित ने खड़ा हो कर येशु से कहा, “ये लोग तुम्हारे विरुद्ध जो गवाही दे रहे हैं, क्या इसका उत्तर तुम्हारे पास नहीं है?” परन्तु येशु चुप रहे।
तब प्रधान महापुरोहित ने येशु से कहा, “तुम्हें जीवन्त परमेश्वर की शपथ! यदि तुम मसीह हो, परमेश्वर के पुत्र हो, तो हमें बता दो।” येशु ने उत्तर दिया, “आपने कह दिया। मैं आप लोगों से यह भी कहता हूँ, अब से आप मानव-पुत्र को सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दाहिनी ओर विराजमान और आकाश के बादलों पर आता हुआ देखेंगे।”
इस पर प्रधान महापुरोहित ने अपने वस्त्र फाड़े और कहा, “इसने ईश-निन्दा की है। तो अब हमें गवाहों की जरूरत ही क्या है? अभी-अभी आप लोगों ने ईश-निन्दा सुनी है। आप लोगों का क्या विचार है?” उन्होंने उत्तर दिया, “यह प्राणदण्ड के योग्य है।”
तब उन्होंने येशु के मुँह पर थूका और उन्हें घूँसे मारे। कुछ लोगों ने उन्हें थप्पड़ मारते हुए यह कहा, “मसीह! यदि तू नबी है, तो हमें बता कि तुझे किसने मारा?”
पतरस उस समय बाहर आंगन में बैठा हुआ था। एक सेविका ने पास आ कर उस से कहा, “तुम भी गलील-निवासी येशु के साथ थे।” किन्तु उसने सब के सामने अस्वीकार करते हुए कहा, “मैं नहीं जानता कि तुम क्या कह रही हो।”
इसके बाद पतरस बाहर प्रवेश-द्वार पर चला गया। किन्तु एक दूसरी सेविका ने उसे देख लिया और वहाँ खड़े हुए लोगों से कहा, “यह व्यक्ति येशु नासरी के साथ था।” पतरस ने शपथ खा कर फिर अस्वीकार किया और कहा, “मैं उस मनुष्य को नहीं जानता।”
इसके थोड़ी देर बाद आसपास खड़े लोग पतरस के पास आए और बोले, “निश्चय ही तुम भी उन्हीं लोगों में से एक हो। यह तो तुम्हारी बोली से ही स्पष्ट है।” तब पतरस अपने आप को कोसने और शपथ खा कर कहने लगा, “मैं उस मनुष्य को जानता तक नहीं।” ठीक उसी समय मुर्गे ने बाँग दी।
अब पतरस को येशु के वे शब्द स्मरण हुए जो उन्होंने उससे कहे थे : “मुर्गे के बाँग देने से पहले ही तुम मुझे तीन बार अस्वीकार करोगे,” और वह बाहर निकल कर फूट-फूट कर रोने लगा।