मत्ती 26:35-46

मत्ती 26:35-46 HINCLBSI

पतरस ने उन से कहा, “मुझे आपके साथ चाहे मरना ही क्‍यों न पड़े, मैं आप को कभी अस्‍वीकार नहीं करूँगा।” इसी प्रकार अन्‍य सब शिष्‍यों ने भी कहा। तब येशु अपने शिष्‍यों के साथ गतसमनी नामक स्‍थान पर आए। वह उन से बोले, “तुम लोग यहाँ बैठो। मैं तब तक वहाँ प्रार्थना करने जाता हूँ।” वह पतरस और जबदी के दोनों पुत्रों को अपने साथ ले गये। येशु उदास तथा व्‍याकुल होने लगे और उन से बोले, “मैं अत्‍यन्‍त व्‍याकुल हूँ मानो मेरे प्राण निकल रहे हों! तुम यहाँ ठहरो और मेरे साथ जागते रहो।” येशु कुछ आगे बढ़े और उन्‍होंने भूमि पर मुँह के बल गिर कर यह प्रार्थना की, “मेरे पिता! यदि हो सके, तो यह प्‍याला मुझ से टल जाए। फिर भी मेरी नहीं, बल्‍कि तेरी इच्‍छा पूरी हो।” तब वह अपने शिष्‍यों के पास गये और उन्‍हें सोया हुआ देख कर पतरस से बोले, “क्‍या तुम लोग घण्‍टे भर भी मेरे साथ नहीं जाग सके? जागते रहो और प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम परीक्षा में न पड़ो। आत्‍मा तो तत्‍पर है, परन्‍तु शरीर दुर्बल।” वह फिर दूसरी बार गये और उन्‍होंने यह प्रार्थना की, “मेरे पिता! यदि यह प्‍याला मेरे पिये बिना नहीं टल सकता, तो तेरी ही इच्‍छा पूरी हो।” लौटने पर उन्‍होंने अपने शिष्‍यों को फिर सोया हुआ पाया, क्‍योंकि उनकी आँखें नींद से भारी हो रही थीं। येशु उन्‍हें छोड़ कर फिर गये और उन्‍हीं शब्‍दों को दोहराते हुए उन्‍होंने तीसरी बार प्रार्थना की। इसके पश्‍चात् वह अपने शिष्‍यों के पास आए और उनसे कहा, “अब तक सो रहे हो? आराम कर रहे हो? देखो! वह घड़ी निकट आ गयी है। मानव-पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जा रहा है। उठो! हम चलें! देखो, मुझे पकड़वाने वाला निकट आ गया है।”

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