“तब राजा अपनी दाहिनी ओर के लोगों से कहेगा, ‘मेरे पिता के कृपापात्रो! आओ और उस राज्य के अधिकारी बनो, जो सृष्टि के आरम्भ से तुम्हारे लिए तैयार किया गया है; क्योंकि मैं भूखा था और तुम ने मुझे भोजन खिलाया। मैं प्यासा था और तुम ने मुझे पानी पिलाया। मैं परदेशी था और तुम ने मुझे अपने यहाँ ठहराया। मैं नंगा था और तुम ने मुझे वस्त्र पहिनाया। मैं बीमार था और तुम ने मेरी देखभाल की। मैं बन्दी था और तुम मुझ से मिलने आए।’ “इस पर धर्मी उस से कहेंगे, ‘प्रभु! हम ने कब आप को भूखा देखा और भोजन खिलाया? कब प्यासा देखा और पानी पिलाया? हम ने कब आप को परदेशी देखा और अपने यहाँ ठहराया? कब नंगा देखा और वस्त्र पहिनाया? कब आप को बीमार या बन्दी देखा और आप से मिलने आए?’ “राजा उन्हें यह उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ, जो कुछ तुम ने मेरे इन छोटे से छोटे भाई-बहिनों में से किसी एक के लिए किया, वह तुम ने मेरे लिए ही किया।’
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