जब येशु मन्दिर से निकल कर जा रहे थे, तब उनके शिष्य उनके पास आए और उन्होंने मन्दिर की इमारतों की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया। येशु ने उनसे कहा, “तुम यह सब देख रहे हो न? मैं तुम से सच कहता हूँ, यहाँ एक पत्थर पर दूसरा पत्थर पड़ा नहीं रहेगा − सब ध्वस्त हो जाएगा।” जब येशु जैतून पहाड़ पर बैठे थे, तब शिष्य एकान्त में उनके पास आए और बोले, “हमें बताइए, यह कब होगा? आपके आगमन और युग के अन्त का चिह्न क्या होगा?” येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “सावधान रहो। तुम्हें कोई नहीं बहकाए। बहुत-से लोग मेरे नाम में आएँगे और कहेंगे : ‘मैं मसीह हूँ’, और वे बहुतों को बहका देंगे। तुम युद्धों की चर्चा सुनोगे और युद्धों के बारे में अफवाहें सुनोगे। पर देखो, इस से मत घबराना, क्योंकि ऐसा होना अनिवार्य है। परन्तु यही अन्त नहीं है। जाति के विरुद्ध जाति और राज्य के विरुद्ध राज्य उठ खड़ा होगा। जहाँ-तहाँ अकाल पड़ेंगे और भूकम्प आएँगे। यह सब मानो प्रसव-पीड़ा का आरम्भ मात्र होगा। “उस समय लोग तुम्हें पकड़वा कर घोर यन्त्रणा देंगे और मार डालेंगे। मेरे नाम के कारण सब जातियाँ तुम से घृणा करेंगी। उन दिनों बहुत-से विश्वासियों के विश्वास का पतन होगा! वे एक दूसरे को पकड़वाएँगे और एक दूसरे से घृणा करेंगे। बहुत-से झूठे नबी प्रकट होंगे और बहुतों को बहकाएँगे। अधर्म बढ़ने से लोगों में प्रेम-भाव घट जाएगा, किन्तु जो अन्त तक स्थिर रहेगा, वही बचाया जाएगा। राज्य का यह शुभ समाचार सारे संसार में सुनाया जाएगा, जिससे सब राष्ट्रों को इसकी साक्षी मिले; और तब अन्त आ जाएगा।
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