तब जबदी के पुत्रों की माता अपने पुत्रों के साथ येशु के पास आयी। उसने वंदना कर उन से कुछ माँगना चाहा। येशु ने उससे कहा, “क्या चाहती हो?” उसने उत्तर दिया, “आप आज्ञा दीजिए कि आपके राज्य में मेरे ये दोनों पुत्र एक आपके दाएँ बैठे और दूसरा आपके बाएँ।” येशु ने उसके पुत्रों से कहा, “तुम नहीं जानते कि तुम क्या माँग रहे हो। जो प्याला मैं पीने वाला हूँ, क्या तुम उसे पी सकते हो?” उन्होंने उत्तर दिया, “हाँ, हम पी सकते हैं।” इस पर येशु ने उनसे कहा, “मेरा प्याला तो तुम पिओगे, किन्तु तुम्हें अपने दाएँ या बाएँ बैठाना, यह मेरा काम नहीं है। ये स्थान उन लोगों के लिए हैं जिनके लिए मेरे पिता ने इन्हें तैयार किया है।” जब दस प्रेरितों को यह मालूम हुआ, तब वे दोनों भाइयों पर नाराज हो गये। येशु ने अपने शिष्यों को अपने पास बुला कर उनसे कहा, “तुम जानते हो कि संसार के अधिपति अपनी प्रजा पर निरंकुश शासन करते हैं और उनके सत्ताधारी उन पर अधिकार जताते हैं। परन्तु तुम में ऐसी बात नहीं होगी। जो तुम में बड़ा होना चाहता है, वह तुम्हारा सेवक बने और जो तुम में प्रधान होना चाहता है, वह तुम्हारा दास बने; जैसे मानव-पुत्र अपनी सेवा कराने नहीं, बल्कि सेवा करने तथा बहुतों के बदले उनकी मुक्ति के मूल्य में अपने प्राण देने आया है।”
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