मत्ती 19:1-17

मत्ती 19:1-17 HINCLBSI

अपना यह उपदेश समाप्‍त कर येशु गलील प्रदेश से चले गये और यर्दन नदी के पार यहूदा प्रदेश के सीमा-क्षेत्र में आए। एक विशाल जनसमूह उनके पीछे हो लिया और येशु ने वहाँ लोगों को स्‍वस्‍थ किया। कुछ फरीसी येशु के पास आए और उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्‍य से बोले, “क्‍या किसी भी कारण से अपनी पत्‍नी का परित्‍याग करना उचित है?” येशु ने उत्तर दिया, “क्‍या तुम लोगों ने धर्मग्रन्‍थ में यह नहीं पढ़ा कि सृष्‍टिकर्ता ने प्रारम्‍भ ही से उन्‍हें नर और नारी बनाया और कहा कि ‘इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ेगा और अपनी पत्‍नी के साथ रहेगा, और वे दोनों एक शरीर होंगे’? इस प्रकार अब वे दो नहीं, बल्‍कि एक शरीर हैं। इसलिए जिसे परमेश्‍वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्‍य अलग नहीं करे।” उन्‍होंने येशु से कहा, “तब मूसा ने पत्‍नी का परित्‍याग करते समय त्‍यागपत्र देने का आदेश क्‍यों दिया?” येशु ने उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्‍हारे हृदय की कठोरता के कारण ही तुम्‍हें पत्‍नी का परित्‍याग करने की अनुमति दी थी; किन्‍तु प्रारम्‍भ से ऐसा नहीं था। मैं तुम लोगों से कहता हूँ कि व्‍यभिचार के अतिरिक्‍त किसी अन्‍य कारण से जो पति अपनी पत्‍नी का परित्‍याग करता और किसी दूसरी स्‍त्री से विवाह करता है, वह व्‍यभिचार करता है।” शिष्‍यों ने येशु से कहा, “यदि पति और पत्‍नी का सम्‍बन्‍ध ऐसा है, तो विवाह नहीं करना ही अच्‍छा है।” येशु ने उनसे कहा, “सब इस शिक्षा को ग्रहण नहीं कर सकते। केवल वे ही ग्रहण कर सकते हैं जिन्‍हें यह वरदान मिला है; क्‍योंकि कुछ लोग माता के गर्भ से ही नपुंसक उत्‍पन्न हुए हैं, कुछ लोगों को मनुष्‍यों ने नपुंसक बना दिया है। किन्‍तु कुछ लोगों ने स्‍वर्गराज्‍य के निमित्त अपने आप को नपुंसक बना दिया है। जो यह शिक्षा ग्रहण कर सकता है, वह ग्रहण कर ले।” उस समय लोग येशु के पास बच्‍चों को लाए, जिससे वह उन पर हाथ रखें और प्रार्थना करें। परन्‍तु शिष्‍यों ने लोगों को डाँटा। येशु ने कहा, “बच्‍चों को आने दो और उन्‍हें मेरे पास आने से मत रोको, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्‍य उन-जैसे लोगों का ही है।” और वह बच्‍चों के सिर पर हाथ रखकर वहाँ से चले गये। एक व्यक्‍ति येशु के पास आ कर बोला, “गुरुवर! शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त करने के लिए मैं कौन-सा भला कार्य करूँ?” येशु ने उत्तर दिया, “भलाई के विषय में मुझ से क्‍यों पूछते हो? एक ही तो भला है। यदि तुम जीवन में प्रवेश करना चाहते हो, तो आज्ञाओं का पालन करो।”