मत्ती 16:13-28

मत्ती 16:13-28 HINCLBSI

जब येशु कैसरिया-फिलिप्‍पी प्रदेश में आए तब उन्‍होंने अपने शिष्‍यों से पूछा, “मानव पुत्र कौन है, इस विषय में लोग क्‍या कहते हैं?” शिष्‍यों ने उत्तर दिया, “कुछ लोग कहते हैं, योहन बपतिस्‍मादाता; कुछ कहते हैं, नबी एलियाह और कुछ लोग कहते हैं, नबी यिर्मयाह अथवा नबियों में से कोई एक नबी।” इस पर येशु ने कहा, “और तुम क्‍या कहते हो कि मैं कौन हूँ?” सिमोन पतरस ने उत्तर दिया, “आप मसीह हैं, आप जीवन्‍त परमेश्‍वर के पुत्र हैं।” इस पर येशु ने उससे कहा, “सिमोन, योना के पुत्र! तुम धन्‍य हो, क्‍योंकि किसी निरे मनुष्‍य ने नहीं, बल्‍कि मेरे स्‍वर्गिक पिता ने तुम पर यह प्रकट किया है। मैं तुम से कहता हूँ कि तुम ‘पतरस’ अर्थात् ‘चट्टान’ हो और इस ‘चट्टान’ पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊंगा और अधोलोक के फाटक इस पर प्रबल नहीं हो पाएँगे। मैं तुम्‍हें स्‍वर्गराज्‍य की कुंजियाँ प्रदान करूँगा। जो कुछ तुम पृथ्‍वी पर बाँधोगे वह स्‍वर्ग में बंधा रहेगा। और जो कुछ पृथ्‍वी पर खोलोगे, वह स्‍वर्ग में खुला रहेगा।” तब येशु ने अपने शिष्‍यों को कड़ी चेतावनी दी, “तुम किसी को भी यह नहीं बताना कि मैं मसीह हूँ।” उस समय से येशु अपने शिष्‍यों को यह समझाने लगे कि “मुझे यरूशलेम जाना ही होगा। यह अनिवार्य है कि मैं वहाँ धर्मवृद्धों, महापुरोहितों और शास्‍त्रियों के हाथ से बहुत दु:ख उठाऊं, मार डाला जाऊं और तीसरे दिन जीवित हो उठूँ।” पतरस येशु को अलग ले गया और उन्‍हें यह कहते हुए डाँटने लगा, “परमेश्‍वर ऐसा न करे। प्रभु! यह आप पर कभी नहीं बीतेगी।” इस पर येशु ने मुड़ कर, पतरस से कहा, “मेरे सामने से हट जाओ, शैतान! तुम मेरे रास्‍ते में बाधा बन रहे हो। तुम परमेश्‍वर की बातें नहीं, बल्‍कि मनुष्‍यों की बातें सोचते हो।” इसके पश्‍चात् येशु ने अपने शिष्‍यों से कहा, “जो मेरा अनुसरण करना चाहता है, वह आत्‍मत्‍याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले; क्‍योंकि जो कोई अपना प्राण सुरक्षित रखना चाहता है, वह उसे खो देगा और जो मेरे कारण अपना प्राण खोएगा वह उसे बचाएगा। मनुष्‍य को इससे क्‍या लाभ यदि वह सारा संसार तो प्राप्‍त कर ले, लेकिन अपना प्राण ही गँवा दे? अपने प्राण के बदले में मनुष्‍य क्‍या देगा? क्‍योंकि मानव-पुत्र अपने स्‍वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा और वह प्रत्‍येक मनुष्‍य को उसके कर्मों के अनुसार फल देगा। मैं तुम से सच कहता हूँ, यहाँ खड़े लोगों में कुछ ऐसे लोग हैं, जो तब तक मृत्‍यु का स्‍वाद नहीं चखेंगे जब तक वे मानव-पुत्र को अपने राज्‍य में आता हुआ न देख लेंगे।”