मत्ती 14:22-36

मत्ती 14:22-36 HINCLBSI

इसके तुरन्‍त बाद येशु ने अपने शिष्‍यों को इसके लिए बाध्‍य किया कि वे नाव पर चढ़ कर उनसे पहले झील के उस पार चले जाएँ; इतने में वह स्‍वयं लोगों को विदा कर देंगे। येशु लोगों को विदा कर एकान्‍त में प्रार्थना करने पहाड़ी पर चढ़े। सन्‍ध्‍या होने पर वह वहाँ अकेले थे। नाव उस समय तट से एक-दो किलोमीटर दूर जा चुकी थी। वह लहरों से डगमगा रही थी, क्‍योंकि वायु प्रतिकूल थी। रात के चौथे पहर येशु झील पर चलते हुए शिष्‍यों की ओर आये। जब उन्‍होंने येशु को झील पर चलते हुए देखा, तब वे बहुत घबरा गये और यह कहते हुए, “यह कोई प्रेत है”, डर के मारे चिल्‍ला उठे। येशु ने तुरन्‍त उन से कहा, “धैर्य रखो। मैं हूँ। डरो मत।” पतरस ने उत्तर दिया, “प्रभु! यदि आप ही हैं, तो मुझे पानी पर अपने पास आने की आज्ञा दीजिए।” येशु ने कहा, “आ जाओ।” पतरस नाव से उतरा और पानी पर चलते हुए येशु की ओर बढ़ा; किन्‍तु वह प्रचण्‍ड वायु देख कर डर गया और जब डूबने लगा, तो पुकार उठा, “प्रभु! मुझे बचाइए।” येशु ने तुरन्‍त हाथ बढ़ा कर उसे थाम लिया और कहा, “अल्‍प-विश्‍वासी! तुम ने संदेह क्‍यों किया” दोनों नाव पर चढ़े और वायु थम गयी। जो शिष्‍य नाव में थे, वे येशु के चरणों पर गिर पड़े। वे बोले, “आप सचमुच परमेश्‍वर के पुत्र हैं। वे पार उतर कर गिनेसरेत नगर के क्षेत्र में आए। वहाँ के लोगों ने येशु को पहचान लिया और आसपास के सब गाँवों में इसकी खबर फैला दी। वे सब रोगियों को येशु के पास लाए और उनसे निवेदन किया कि वह उन्‍हें अपने वस्‍त्र का सिरा ही स्‍पर्श करने दें। जितनों ने उनका स्‍पर्श किया, वे सब स्‍वस्‍थ हो गये।