उस समय शासक हेरोदेस ने येशु की ख्याति सुनी। उसने अपने दरबारियों से कहा, “यह योहन बपतिस्मादाता है। यह मृतकों में से जी उठा है। इस कारण इसमें ये चमत्कारिक शक्तियाँ क्रियाशील हैं।” हेरोदेस ने अपने भाई फिलिप की पत्नी हेरोदियस के कारण योहन को गिरफ्तार किया और उन्हें बाँध कर बन्दीगृह में डाल दिया था; क्योंकि योहन ने उससे कहा था, “भाई की पत्नी को रखना आपके लिए उचित नहीं है।” हेरोदेस योहन को मार डालना चाहता था; किन्तु वह जनता से डरता था, जो योहन को नबी मानती थी। हेरोदेस के जन्मदिवस के अवसर पर हेरोदियस की पुत्री ने अतिथियों के सामने नृत्य किया और हेरोदेस को मुग्ध कर दिया। इसलिए उसने शपथ खा कर वचन दिया, “जो कुछ तुम माँगोगी, उसे मैं दे दूँगा।” उसकी माँ ने उसे पहले से सिखा दिया था। इसलिए वह बोली, “मुझे इसी समय थाली में योहन बपतिस्मादाता का सिर दीजिए।” हेरोदेस को धक्का लगा, परन्तु अपनी शपथ और अतिथियों के कारण उसने आदेश दिया, “योहन का सिर इसे दे दिया जाए।” और सैनिकों को भेज कर उसने बन्दीगृह में योहन का सिर कटवा दिया। उनका सिर थाली में लाया गया और लड़की को दे दिया गया और वह उसे अपनी माँ के पास ले गयी। योहन के शिष्य आये, और वे उनका शव ले गये। उन्होंने उसे कबर में रखा और जाकर येशु को इसकी सूचना दी।
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