मत्ती 13:44-58

मत्ती 13:44-58 HINCLBSI

“स्‍वर्ग का राज्‍य खेत में छिपे हुए खजाने के सदृश है, जिसे कोई मनुष्‍य पाता है और छिपा देता है। तब वह उमंग में जाता और अपना सब कुछ बेच कर उस खेत को खरीद लेता है। “फिर, स्‍वर्ग का राज्‍य उस व्‍यापारी के सदृश है जो उत्तम मोतियों की खोज में था। जब उसे एक बहुमूल्‍य मोती मिला तब उसने जाकर अपना सब कुछ बेच दिया और उस मोती को मोल ले लिया। “फिर, स्‍वर्ग का राज्‍य समुद्र में डाले हुए उस जाल के सदृश है, जो हर तरह की मछलियाँ बटोर लाता है। जाल के भर जाने पर मछुए उसे किनारे खींच लेते हैं। तब वे बैठ कर अच्‍छी मछलियाँ चुन-चुन कर टोकरियों में जमा करते हैं और खराब मछलियाँ फेंक देते हैं। संसार के अन्‍त में ऐसा ही होगा। स्‍वर्गदूत आकर धर्मियों में से दुष्‍टों को अलग करेंगे और उन्‍हें आग के कुण्‍ड में झोंक देंगे। वहाँ वे लोग रोएँगे और दाँत पीसते रहेंगे। “क्‍या तुम लोग ये सब बातें समझ गये?” शिष्‍यों ने उत्तर दिया, “जी हाँ।” येशु ने उन से कहा, “इस कारण प्रत्‍येक शास्‍त्री, जो स्‍वर्ग के राज्‍य के विषय में शिक्षा पा चुका है, उस गृहस्‍थ के सदृश है, जो अपने भंडार से नयी और पुरानी वस्‍तुएँ निकालता है।” येशु इन दृष्‍टान्‍तों को समाप्‍त कर वहाँ से चले गये। येशु अपने नगर में आए, और लोगों को उनके सभागृह में शिक्षा देने लगे। लोगों को आश्‍चर्य हुआ। उन्‍होंने कहा, “इसे यह बुद्धि और आश्‍चर्यपूर्ण कार्य करने का यह सामर्थ्य कहाँ से मिला? क्‍या यह बढ़ई का पुत्र नहीं है? क्‍या मरियम इसकी माँ नहीं? क्‍या याकूब, यूसुफ़, शिमोन और यहूदा इसके भाई नहीं? क्‍या इसकी सब बहनें हमारे बीच नहीं रहतीं? तो यह सब इसे कहाँ से मिला?” इस प्रकार लोगों को येशु के विषय में भ्रम हुआ। येशु ने उन से कहा, “अपने नगर और अपने घर को छोड़कर नबी का अपमान कहीं नहीं होता।” लोगों के अविश्‍वास के कारण उन्‍होंने वहाँ सामर्थ्य के अधिक कार्य नहीं किए।

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