मत्ती 10:24-42

मत्ती 10:24-42 HINCLBSI

“न शिष्‍य गुरु से बड़ा होता है और न सेवक अपने स्‍वामी से। शिष्‍य के लिए अपने गुरु-जैसा और सेवक के लिए अपने स्‍वामी-जैसा बन जाना ही बहुत है। यदि लोगों ने घर के स्‍वामी को बअलजबूल कहा है, तो वे उसके घर वालों को क्‍या कुछ नहीं कहेंगे? “इसलिए उन से नहीं डरो। ऐसा कुछ भी गुप्‍त नहीं है, जो प्रकाश में नहीं लाया जाएगा और ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो प्रकट नहीं किया जाएगा। जो मैं तुम से अंधेरे में कहता हूँ, उसे तुम उजाले में सुनाओ। जो तुम्‍हें कानों में कहा जाता है, उसे तुम छतों पर से पुकार-पुकार कर कहो। “उन से नहीं डरो, जो शरीर को मार डालते हैं, किन्‍तु आत्‍मा को नहीं मार सकते; बल्‍कि उससे डरो, जो शरीर और आत्‍मा, दोनों को नरक में नष्‍ट कर सकता है। “क्‍या एक पैसे में दो गौरैयाँ नहीं बिकतीं? फिर भी तुम्‍हारे पिता के जाने बिना उन में से एक भी धरती पर नहीं गिरती। तुम्‍हारे तो सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं। इसलिए नहीं डरो। तुम बहुत गौरैयों से बढ़ कर हो। “जो मुझे मनुष्‍यों के सामने स्‍वीकार करेगा, उसे मैं भी अपने स्‍वर्गिक पिता के सामने स्‍वीकार करूँगा और जो मुझे मनुष्‍यों के सामने अस्‍वीकार करेगा, उसे मैं भी अपने स्‍वर्गिक पिता के सामने अस्‍वीकार करूँगा। “यह न समझो कि मैं पृथ्‍वी पर शान्‍ति ले कर आया हूँ। मैं शान्‍ति नहीं, बल्‍कि तलवार ले कर आया हूँ। मैं पुत्र और पिता में, पुत्री और माता में, बहू और सास में फूट डालने आया हूँ। मनुष्‍य के शत्रु उसके घर के लोग ही होंगे। “जो पुत्र अपने पिता या अपनी माता को मुझ से अधिक प्रेम करता है, वह मेरे योग्‍य नहीं। जो पिता अपने पुत्र या अपनी पुत्री को मुझ से अधिक प्रेम करता है, वह मेरे योग्‍य नहीं। जो शिष्‍य अपना क्रूस उठा कर मेरा अनुसरण नहीं करता, वह मेरे योग्‍य नहीं। जो मनुष्‍य अपना प्राण बचाए हुए है, वह उसे खोएगा; और जो मेरे कारण अपना प्राण खो चुका है, वह उसे बचाएगा। “जो तुम्‍हारा स्‍वागत करता है, वह मेरा स्‍वागत करता है और जो मेरा स्‍वागत करता है, वह उसका स्‍वागत करता है, जिसने मुझे भेजा है। जो नबी का इसलिए स्‍वागत करता है कि वह नबी है, वह नबी का पुरस्‍कार पाएगा और जो धर्मी का इसलिए स्‍वागत करता है कि वह धर्मी है, वह धर्मी का पुरस्‍कार पाएगा। “जो कोई इन छोटों में से किसी को शिष्‍य मान कर केवल कटोरा भर ठंडा पानी पिलाएगा, तो मैं तुम से सच कहता हूँ कि वह अपना पुरस्‍कार कदापि नहीं खोएगा।”