क्या प्रभु ने पति और पत्नी को एक हो जाने के लिए नहीं बनाया? तो क्या आत्मा इस में सम्मिलित नहीं है? और पति-पत्नी के एक होने का क्या उद्देश्य है? यही कि वे धर्मपरायण सन्तान उत्पन्न करें। अत: अपने प्रति सावधान रहो। कोई भी पति अपनी युवावस्था की पत्नी के प्रति विश्वासघात न करे। इस्राएल का प्रभु परमेश्वर यों कहता है, ‘मैं तलाक से घृणा करता हूँ; मैं उस पति से नफरत करता हूँ जो दूसरी स्त्री को चादर ओढ़ाकर अपनी पत्नी बनाता है और यों अपनी पूर्व-पत्नी पर अत्याचार करता है।’ स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘अपने प्रति सावधान रहो। अपनी पत्नी के प्रति विश्वासघात मत करो।’
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