मलाकी 2:10-15

मलाकी 2:10-15 HINCLBSI

क्‍या हम-सब का एक ही पिता नहीं है? क्‍या हम-सब को एक ही परमेश्‍वर ने नहीं रचा है? तब हम अपने पुर्वजों के विधान का उल्‍लंघन कर क्‍यों एक-दूसरे के प्रति अविश्‍वास प्रकट करते हैं? यहूदा प्रदेश के निवासी अविश्‍वासी हैं। यरूशलेम नगर और इस्राएल प्रदेश में घृणित कार्य किए गए। यहूदा के निवासियों ने विदेशी देवता के अनुयायियों की पुत्रियों से प्रेम किया और विवाह किया, और यों प्रभु के पवित्र स्‍थान को अपवित्र किया। प्रभु ऐसा कार्य करने वाले को, चाहे वह प्रवासी हो या स्‍थायी निवासी, यहूदा प्रदेश से निष्‍कासित करे, चाहे वह स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु को चढ़ाने के लिए भेंट ही क्‍यों न लाए। ओ पुरोहितो, तुम यह कार्य भी करते हो: तुम रोते हो, कराहते हो और अपने आंसुओं से प्रभु की वेदी को भिगोते हो; क्‍योंकि प्रभु तुम्‍हारे आंसुओं पर ध्‍यान नहीं देता, तुम्‍हारे हाथ से भेंट को स्‍वीकार नहीं करता और तुम पर कृपा नहीं करता। तुम यह पूछते हो, ‘प्रभु ऐसा क्‍यों कर रहा है?’ सुनो, जब तुमने युवावस्‍था में विवाह किया था, तब तुम्‍हारी युवावस्‍था की पत्‍नी और तुम्‍हारे मध्‍य स्‍थापित विवाह की प्रतिज्ञा में प्रभु भी साक्षी था। अब तुम अपनी युवावस्‍था की पत्‍नी के प्रति विश्‍वासघात कर रहे हो, जबकि वह विवाह की प्रतिज्ञा के अनुसार तुम्‍हारी जीवन-साथी और पत्‍नी है। क्‍या प्रभु ने पति और पत्‍नी को एक हो जाने के लिए नहीं बनाया? तो क्‍या आत्‍मा इस में सम्‍मिलित नहीं है? और पति-पत्‍नी के एक होने का क्‍या उद्देश्‍य है? यही कि वे धर्मपरायण सन्‍तान उत्‍पन्न करें। अत: अपने प्रति सावधान रहो। कोई भी पति अपनी युवावस्‍था की पत्‍नी के प्रति विश्‍वासघात न करे।