इसके कुछ ही समय बाद येशु नगर-नगर और गाँव-गाँव घूम कर उपदेश देने और परमेश्वर के राज्य का शुभ समाचार सुनाने लगे। बारह प्रेरित उनके साथ थे और कुछ स्त्रियाँ भी, जो दुष्ट आत्माओं और रोगों से मुक्त की गयी थीं−मरियम, जिसका उपनाम मगदलेनी था और जिस से सात भूत निकले थे; हेरोदेस के गृह-प्रबन्धक खूजा की पत्नी योअन्ना; सूसन्नाह और अनेक अन्य स्त्रियाँ भी, जो अपनी सम्पत्ति से येशु और उनके शिष्यों की सेवा-परिचर्या करती थीं।
एक विशाल जनसमूह एकत्र हो रहा था और नगर-नगर से लोग येशु के पास आ रहे थे। उस समय उन्होंने यह दृष्टान्त सुनाया, “एक किसान अपने बीज बोने निकला। बोते-बोते कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरे और वे पैरों से रुंद गए और आकाश के पक्षियों ने उन्हें चुग लिया। कुछ बीज पथरीली भूमि पर गिरे। वे उगते ही नमी के अभाव में झुलस गये। कुछ बीज काँटों के बीज गिरे और साथ-साथ बढ़ने वाले काँटों ने उन्हें दबा दिया। पर कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे और उग कर सौ गुना फल लाए।” इतना कहने के बाद वह पुकार कर बोले, “जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले।”
शिष्यों ने येशु से इस दृष्टान्त का अर्थ पूछा। उन्होंने कहा, “परमेश्वर के राज्य के रहस्यों का ज्ञान तुम लोगों को दिया गया है; पर दूसरों को केवल दृष्टान्त मिले, जिससे वे देखते हुए भी नहीं देखें और सुनते हुए भी नहीं समझें।
“दृष्टान्त का अर्थ इस प्रकार है। परमेश्वर का वचन बीज है। मार्ग के किनारे गिरे हुए बीज वे लोग हैं, जो वचन सुनते हैं, परन्तु कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करें और मुक्ति प्राप्त कर लें; इसलिए शैतान आ कर उनके हृदय से वचन ले जाता है। चट्टान पर गिरे हुए बीज वे लोग हैं, जो वचन सुनते ही प्रसन्नता से उसे ग्रहण कर लेते हैं, किन्तु उन में जड़ नहीं है। वे कुछ ही समय तक विश्वास करते हैं और परीक्षा के समय उनका पतन हो जाता है। काँटों में गिरे हुए बीज वे लोग हैं, जो वचन सुनते हैं, परन्तु आगे चल कर वे चिन्ता, धन-सम्पत्ति और जीवन के भोग-विलास से दब जाते हैं और परिपक्वता तक नहीं पहुँच पाते हैं। अच्छी भूमि पर गिरे हुए बीज वे लोग हैं, जो वचन सुन कर उसे सच्चे और निष्कपट हृदय में सुरक्षित रखते और अपने धैर्य के कारण फल लाते हैं।
“कोई दीपक जला कर बरतन से नहीं ढकता या पलंग के नीचे नहीं रखता, बल्कि वह उसे दीवट पर रख देता है, जिससे भीतर आने वालों को उसका प्रकाश मिले।
“ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो प्रकट नहीं होगा और ऐसा कुछ भी गुप्त नहीं है, जो ज्ञात और प्रकाशित नहीं होगा। तो इसके सम्बन्ध में सावधान रहो कि तुम किस तरह सुनते हो; क्योंकि जिसके पास है, उसको और दिया जाएगा और जिसके पास कुछ नहीं है, उस से वह भी ले लिया जाएगा, जिसे वह अपना समझता है।”
येशु की माता और भाई उन से मिलने आए, किन्तु भीड़ के कारण उनके पास नहीं पहुँच सके। लोगों ने येशु से कहा, “आपकी माता और आपके भाई बाहर हैं। वे आप से मिलना चाहते हैं।” किन्तु येशु ने उनसे कहा, “मेरी माता और मेरे भाई वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।”