लूकस 5:12-26

लूकस 5:12-26 HINCLBSI

एक बार जब येशु किसी नगर में थे, तब उन के पास एक मनुष्‍य आया। उसका शरीर कुष्‍ठ-रोग से भरा हुआ था। वह येशु को देख कर मुँह के बल गिर पड़ा और उनसे सहायता के लिए विनती की, “प्रभु! आप चाहें, तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।” येशु ने हाथ बढ़ा कर उसको स्‍पर्श किया और कहा, “मैं यही चाहता हूँ। तुम शुद्ध हो जाओ।” उसी क्षण उसका कुष्‍ठ-रोग दूर हो गया। येशु ने उसे आदेश दिया, “किसी से न कहना, परन्‍तु जाओ और अपने आप को पुरोहित को दिखाओ और अपने शुद्धीकरण के लिए मूसा की आज्ञानुसार भेंट चढ़ाओ, जिससे सब लोगों को मालूम हो जाए कि तुम स्‍वस्‍थ हो गए हो।” फिर भी येशु की चर्चा अधिकाधिक फैलती गई। भीड़-की-भीड़ उनका उपदेश सुनने और अपने रोगों से स्‍वस्‍थ होने के लिए उनके पास आने लगी। परन्‍तु येशु प्राय: अलग जा कर एकान्‍त स्‍थानों में प्रार्थना किया करते थे। एक दिन येशु शिक्षा दे रहे थे। फरीसी सम्‍प्रदाय के सदस्‍य और व्‍यवस्‍था के अध्‍यापक पास ही बैठे हुए थे। वे गलील तथा यहूदा प्रदेशों के हर एक गाँव से और यरूशलेम से आए थे। रोगियों को स्‍वस्‍थ करने के लिए प्रभु का सामर्थ्य येशु के साथ था। उसी समय कुछ लोग खाट पर एक लकुवे के रोगी को लाए। वे उसे अन्‍दर ले जा कर येशु के सामने रखना चाहते थे। किन्‍तु जब भीड़ के कारण उस को भीतर ले जाने का कोई उपाय न दिखा, तो वे छत पर चढ़ गये और उन्‍होंने खपरैल हटा कर खाट के साथ लकुवे के रोगी को लोगों के बीच में येशु के सामने उतार दिया। उन का विश्‍वास देख कर येशु ने कहा, “भाई! तुम्‍हारे पाप क्षमा हो गये।” इस पर शास्‍त्री और फरीसी एक-दूसरे से प्रश्‍न पूछने लगे, “ईश-निन्‍दा करने वाला यह कौन है? परमेश्‍वर के अतिरिक्‍त और कौन पाप क्षमा कर सकता है?” उनके ये प्रश्‍न जान कर येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “आप-लोग अपने हृदय में ये प्रश्‍न क्‍यों उठा रहे हो? अधिक सहज क्‍या है−यह कहना, ‘तुम्‍हारे पाप क्षमा हो गये’; अथवा यह कहना, ‘उठो और चलो-फिरो’?; परन्‍तु इसलिए कि आप लोगों को मालूम हो जाए कि मानव-पुत्र को पृथ्‍वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है,” वह लकुवे के रोगी से बोले, “मैं तुम से कहता हूँ : उठो और अपनी खटिया उठा कर घर जाओ।” उसी क्षण वह सब के सामने उठ खड़ा हुआ और जिस खाट पर वह लेटा था, उस को उठा कर परमेश्‍वर की स्‍तुति करते हुए अपने घर चला गया। वे सब आश्‍चर्य में डूब गये और परमेश्‍वर की स्‍तुति करने लगे। उन पर भय छा गया। उन्‍होंने कहा, “आज हमने अद्भुत कार्य देखा।”