एक बार जब येशु किसी नगर में थे, तब उन के पास एक मनुष्य आया। उसका शरीर कुष्ठ-रोग से भरा हुआ था। वह येशु को देख कर मुँह के बल गिर पड़ा और उनसे सहायता के लिए विनती की, “प्रभु! आप चाहें, तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।” येशु ने हाथ बढ़ा कर उसको स्पर्श किया और कहा, “मैं यही चाहता हूँ। तुम शुद्ध हो जाओ।” उसी क्षण उसका कुष्ठ-रोग दूर हो गया। येशु ने उसे आदेश दिया, “किसी से न कहना, परन्तु जाओ और अपने आप को पुरोहित को दिखाओ और अपने शुद्धीकरण के लिए मूसा की आज्ञानुसार भेंट चढ़ाओ, जिससे सब लोगों को मालूम हो जाए कि तुम स्वस्थ हो गए हो।” फिर भी येशु की चर्चा अधिकाधिक फैलती गई। भीड़-की-भीड़ उनका उपदेश सुनने और अपने रोगों से स्वस्थ होने के लिए उनके पास आने लगी। परन्तु येशु प्राय: अलग जा कर एकान्त स्थानों में प्रार्थना किया करते थे।
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