लूकस 22:39-51

लूकस 22:39-51 HINCLBSI

येशु बाहर निकल कर अपनी आदत के अनुसार जैतून पहाड़ पर गये। उनके शिष्‍य भी उनके साथ हो लिये। येशु ने वहाँ पहुँच कर उनसे कहा, “प्रार्थना करो, जिससे तुम परीक्षा में न पड़ो।” तब वह ढेला फेंकने की दूरी तक उन से अलग हो गये और घुटने टेक कर उन्‍होंने यह कहते हुए प्रार्थना की, “पिता! यदि तू चाहे, तो यह प्‍याला मुझ से हटा ले। फिर भी मेरी नहीं, किन्‍तु तेरी इच्‍छा पूरी हो।” [ तब येशु को स्‍वर्ग का एक दूत दिखाई पड़ा, जिसने उन को बल प्रदान किया। येशु प्राणपीड़ा में पड़ने के कारण और भी एकाग्र हो कर प्रार्थना करते रहे और उनका पसीना रक्‍त की बूंदों की तरह धरती पर टपकता रहा।] वे प्रार्थना से उठ कर अपने शिष्‍यों के पास आए। उन्‍होंने देखा कि वे शोक के कारण सो गये हैं। येशु ने उनसे कहा, “तुम लोग क्‍यों सो रहे हो? उठो और प्रार्थना करो, जिससे तुम परीक्षा में न पड़ो।” येशु यह कह ही रहे थे कि एक भीड़ आ पहुँची। बारहों में से एक, जिसका नाम यूदस था, भीड़ के आगे था। वह चुम्‍बन के द्वारा येशु का अभिवादन करने के लिए उनके पास आया। येशु ने उससे कहा, “यूदस! क्‍या तुम चुम्‍बन के द्वारा मानव-पुत्र के साथ विश्‍वासघात कर रहे हो?” येशु के साथियों ने यह देख कर कि क्‍या होने वाला है, उनसे कहा, “प्रभु! क्‍या हम तलवार चलाएँ?” और उन में से एक ने प्रधान महापुरोहित के सेवक पर प्रहार किया और उसका दाहिना कान उड़ा दिया। किन्‍तु येशु ने कहा, “रहने दो, बहुत हुआ”, और उसका कान छू कर उन्‍होंने उसे अच्‍छा कर दिया।

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