लूकस 22:31-53

लूकस 22:31-53 HINCLBSI

“सिमोन! सिमोन! शैतान ने तुम लोगों को गेहूँ की तरह फटकने की माँग की है। परन्‍तु सिमोन, मैंने तुम्‍हारे लिए प्रार्थना की है, जिससे तुम्‍हारा विश्‍वास नष्‍ट न हो। समय आने पर जब तुम फिरो, तब अपने भाइयों को भी संभालना।” पतरस ने उनसे कहा, “प्रभु! मैं आपके साथ बन्‍दीगृह जाने और मरने को भी तैयार हूँ।” किन्‍तु येशु ने कहा, “पतरस! मैं तुम से कहता हूँ कि आज, मुर्गे के बाँग देने से पहले ही, तुम तीन बार यह अस्‍वीकार करोगे कि तुम मुझे जानते हो।” येशु ने शिष्‍यों से कहा, “जब मैंने तुम्‍हें बटुए, झोली और जूतों के बिना भेजा था, तब क्‍या तुम्‍हें किसी वस्‍तु की कमी हुई थी?” उन्‍होंने उत्तर दिया, “किसी वस्‍तु की नहीं।” इस पर येशु ने कहा, “परन्‍तु अब जिसके पास बटुआ है, वह उसे ले ले और इसी प्रकार झोली भी। और जिसके पास नहीं है, वह अपना वस्‍त्र बेच कर तलवार खरीद ले; क्‍योंकि मैं तुम से कहता हूँ, यह अनिवार्य है कि धर्मग्रन्‍थ का यह लेख मुझ में पूर्ण हो : ‘वह कुकर्मियों में गिना गया।’ और जो कुछ मेरे विषय में लिखा है, वह अवश्‍य पूरा होगा।” शिष्‍यों ने कहा, “प्रभु! देखिए, यहाँ दो तलवारें हैं।” येशु ने उत्तर दिया, “यह पर्याप्‍त है।” येशु बाहर निकल कर अपनी आदत के अनुसार जैतून पहाड़ पर गये। उनके शिष्‍य भी उनके साथ हो लिये। येशु ने वहाँ पहुँच कर उनसे कहा, “प्रार्थना करो, जिससे तुम परीक्षा में न पड़ो।” तब वह ढेला फेंकने की दूरी तक उन से अलग हो गये और घुटने टेक कर उन्‍होंने यह कहते हुए प्रार्थना की, “पिता! यदि तू चाहे, तो यह प्‍याला मुझ से हटा ले। फिर भी मेरी नहीं, किन्‍तु तेरी इच्‍छा पूरी हो।” [ तब येशु को स्‍वर्ग का एक दूत दिखाई पड़ा, जिसने उन को बल प्रदान किया। येशु प्राणपीड़ा में पड़ने के कारण और भी एकाग्र हो कर प्रार्थना करते रहे और उनका पसीना रक्‍त की बूंदों की तरह धरती पर टपकता रहा।] वे प्रार्थना से उठ कर अपने शिष्‍यों के पास आए। उन्‍होंने देखा कि वे शोक के कारण सो गये हैं। येशु ने उनसे कहा, “तुम लोग क्‍यों सो रहे हो? उठो और प्रार्थना करो, जिससे तुम परीक्षा में न पड़ो।” येशु यह कह ही रहे थे कि एक भीड़ आ पहुँची। बारहों में से एक, जिसका नाम यूदस था, भीड़ के आगे था। वह चुम्‍बन के द्वारा येशु का अभिवादन करने के लिए उनके पास आया। येशु ने उससे कहा, “यूदस! क्‍या तुम चुम्‍बन के द्वारा मानव-पुत्र के साथ विश्‍वासघात कर रहे हो?” येशु के साथियों ने यह देख कर कि क्‍या होने वाला है, उनसे कहा, “प्रभु! क्‍या हम तलवार चलाएँ?” और उन में से एक ने प्रधान महापुरोहित के सेवक पर प्रहार किया और उसका दाहिना कान उड़ा दिया। किन्‍तु येशु ने कहा, “रहने दो, बहुत हुआ”, और उसका कान छू कर उन्‍होंने उसे अच्‍छा कर दिया। जो महापुरोहित, मन्‍दिर-आरक्षी के नायक और धर्मवृद्ध येशु को पकड़ने आए थे, उनसे उन्‍होंने कहा, “क्‍या तुम मुझ को डाकू समझ कर तलवारें और लाठियाँ ले कर निकले हो? मैं प्रतिदिन मन्‍दिर में तुम्‍हारे साथ रहा और तुम ने मुझ पर हाथ नहीं डाला। परन्‍तु यह तुम्‍हारा समय है और उस पर अन्‍धकार का अधिकार है।”