लूकस 18:24-43

लूकस 18:24-43 HINCLBSI

येशु ने उसे उदास देख कर कहा, “धनवानों के लिए परमेश्‍वर के राज्‍य में प्रवेश करना कितना कठिन है! परमेश्‍वर के राज्‍य में धनवान के प्रवेश करने की अपेक्षा ऊंट का सूई के छेद से हो कर निकलना अधिक सरल है।” इस पर सुनने वालों ने कहा, “तो फिर किसका उद्धार हो सकता है?” येशु ने उत्तर दिया, “जो मनुष्‍यों के लिए असम्‍भव है, वह परमेश्‍वर के लिए सम्‍भव है।” तब पतरस ने कहा, “देखिए, हम लोग तो अपना सब कुछ छोड़ कर आपके अनुयायी हो गये हैं।” येशु ने उत्तर दिया, “मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ; ऐसा कोई नहीं, जिसने परमेश्‍वर के राज्‍य के लिए घर, पत्‍नी, भाई-बहिनों, माता-पिता या बाल-बच्‍चों को छोड़ दिया हो और इस लोक में उसे कई गुना न मिले और आने वाले युग में शाश्‍वत जीवन।” बारह प्रेरितों को अलग ले जा कर येशु ने उनसे कहा, “देखो, हम यरूशलेम जा रहे हैं। मानव-पुत्र के विषय में नबियों ने जो कुछ लिखा है, वह सब पूरा होने वाला है। वह अन्‍यजातियों के हाथ में सौंप दिया जाएगा। वे उसका उपहास और अपमान करेंगे और उस पर थूकेंगे। वे उसे कोड़े लगाएँगे और मार डालेंगे। लेकिन तीसरे दिन वह जी उठेगा।” उन्‍हें ये बातें समझ में नहीं आईं। इन शब्‍दों का अर्थ उन से छिपा ही रहा और वे इनका तात्‍पर्य नहीं समझ सके। येशु यरीहो नगर के पास पहुँचे। वहाँ एक अन्‍धा सड़क के किनारे बैठा भीख माँग रहा था। उसने भीड़ को गुजरते सुन कर पूछा कि क्‍या हो रहा है। लोगों ने उसे बताया कि येशु नासरी जा रहे हैं। इस पर वह यह कहते हुए पुकार उठा, “येशु! दाऊद के वंशज! मुझ पर दया कीजिए।” आगे चलने वाले लोगों ने उसे चुप करने के लिए डाँटा, किन्‍तु वह और भी जोर से पुकारने लगा, “हे दाऊद के वंशज! मुझ पर दया कीजिए।” येशु रुक गए और उसको अपने पास लाने की आज्ञा दी। जब वह पास आया, तो येशु ने उससे पूछा, “तुम क्‍या चाहते हो? मैं तुम्‍हारे लिए क्‍या करूँ?” उसने उत्तर दिया, “प्रभु! मैं फिर देख सकूँ।” येशु ने उससे कहा, “तुम फिर देखने लगो। तुम्‍हारे विश्‍वास ने तुम्‍हें स्‍वस्‍थ किया।” उसी क्षण वह देखने लगा और वह परमेश्‍वर की स्‍तुति करते हुए येशु के पीछे हो लिया। सारी जनता भी यह देखकर परमेश्‍वर की स्‍तुति करने लगी।