लूकस 17:4-37

लूकस 17:4-37 HINCLBSI

यदि वह दिन में सात बार तुम्‍हारे विरुद्ध अपराध करता और सात बार आ कर कहता कि ‘मुझे खेद है’, तो तुम उसे क्षमा करते जाओ।” प्रेरितों ने प्रभु से कहा, “हमारा विश्‍वास बढ़ाइए।” प्रभु ने उत्तर दिया, “यदि तुम्‍हारा विश्‍वास राई के दाने के बराबर भी होता, तो तुम शहतूत के इस पेड़ से कहते, ‘उखड़ कर समुद्र में लग जा’ और वह तुम्‍हारी बात मान लेता। “यदि तुम्‍हारा सेवक हल जोत कर या भेड़ चरा कर खेत से लौटता है, तो तुम में ऐसा कौन स्‍वामी है, जो उससे कहेगा, ‘आओ, तुरन्‍त भोजन करने बैठ जाओ?’ क्‍या वह उससे यह नहीं कहेगा, ‘मेरा भोजन तैयार करो। जब तक मेरा खाना-पीना न हो जाए, कमर कस कर परोसते रहो। बाद में तुम भी खा-पी लेना?’ क्‍या स्‍वामी को उस सेवक को इसीलिए धन्‍यवाद देना चाहिए कि उसने उसके आदेश का पालन किया है? तुम भी ऐसे ही हो। सब आदेशों का पालन करने के बाद तुम को कहना चाहिए, ‘हम अयोग्‍य सेवक भर हैं, हम ने अपना कर्त्तव्‍य मात्र पूरा किया है’।” येशु यरूशलेम की यात्रा करते हुए सामरी और गलील प्रदेशों के सीमा-क्षेत्रों से हो कर जा रहे थे। किसी गाँव में प्रवेश करने पर उन्‍हें दस कुष्‍ठ-रोगी मिले। वे दूर खड़े हो कर ऊंचे स्‍वर से बोले, ‘हे येशु, स्‍वामी! हम पर दया कीजिए।” येशु ने उन्‍हें देखा तो उनसे कहा, “जाओ और अपने आप को पुरोहितों को दिखलाओ।” जब वे जा रहे थे तब वे मार्ग में ही शुद्ध हो गये। तब उन में से एक यह देख कर कि वह स्‍वस्‍थ हो गया है, ऊंचे स्‍वर से परमेश्‍वर की स्‍तुति करते हुए लौटा। वह येशु को धन्‍यवाद देते हुए उनके चरणों पर मुँह के बल गिर पड़ा, और वह सामरी था। येशु ने कहा, “क्‍या दसों शुद्ध नहीं हुए? तो बाकी नौ कहाँ हैं? क्‍या इस परदेशी को छोड़ और कोई ऐसा नहीं निकला, “जो लौट कर परमेश्‍वर की स्‍तुति करता?” तब येशु ने उससे कहा, “उठो, जाओ। तुम्‍हारे विश्‍वास ने तुम्‍हें स्‍वस्‍थ किया है।” एक बार फरीसियों ने उन से पूछा कि परमेश्‍वर का राज्‍य कब आएगा, तब येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “परमेश्‍वर का राज्‍य प्रकट रूप से नहीं आता कि लोग उसे देखें। लोग यह नहीं कह सकेंगे, ‘देखो, वह यहाँ है’ अथवा ‘वह वहाँ है’; क्‍योंकि परमेश्‍वर का राज्‍य तुम्‍हारे मध्‍य में है।” येशु ने अपने शिष्‍यों से कहा, “ऐसा समय आएगा, जब तुम मानव-पुत्र का एक दिन भी देखना चाहोगे, किन्‍तु उसे नहीं देख पाओगे। लोग तुम से कहेंगे, ‘देखो, वह वहाँ है’ अथवा, ‘देखो, वह यहाँ है’, तो तुम उधर नहीं जाना और उनके पीछे नहीं भागना; क्‍योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से निकल कर दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मानव-पुत्र अपने दिन में होगा। परन्‍तु पहले उसे बहुत दु:ख उठाना होगा और यह अनिवार्य है कि वह इस पीढ़ी द्वारा ठुकराया जाए। “जो नूह के दिनों में हुआ था, वही मानव-पुत्र के दिनों में भी होगा। नूह के जलयान पर चढ़ने के दिन तक लोग खाते-पीते और शादी-ब्‍याह करते रहे। तब जलप्रलय आया और उसने सब को नष्‍ट कर दिया। लोट के दिनों में भी यही हुआ था। लोग खाते-पीते, लेन-देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते रहे; परन्‍तु जिस दिन लोट ने सदोम नगर छोड़ा, परमेश्‍वर ने आकाश से आग और गन्‍धक की वर्षा की और सब नष्‍ट हो गये। मानव-पुत्र के प्रकट होने के दिन ऐसा ही होगा। “उस दिन जो छत पर हो और उसका सामान घर में हो, वह उसे लेने नीचे न उतरे और जो खेत में हो, वह भी पीछे न लौटे। लोट की पत्‍नी की घटना को स्‍मरण रखो! जो अपना प्राण सुरक्षित रखने का प्रयत्‍न करेगा, वह उसे खो देगा, और जो उसे खो देगा, वह उसे जीवित रखेगा। “मैं तुम से कहता हूँ, उस रात दो व्यक्‍ति एक खाट पर होंगे; एक उठा लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। दो स्‍त्रियाँ साथ-साथ चक्‍की पीसती होंगी; एक उठा ली जाएगी और दूसरी छोड़ दी जाएगी।” [ ।] इस पर शिष्‍यों ने येशु से पूछा, “प्रभु! यह कहाँ होगा?” उन्‍होंने उत्तर दिया, “जहाँ शव होगा, वहाँ गिद्ध भी इकट्ठे हो जाएँगे।”