तब वह होश में आया और यह सोचने लगा : ‘मेरे पिता के घर में कितने ही मजदूरों को आवश्यकता से अधिक रोटी मिलती है और मैं यहाँ भूखों मर रहा हूँ। मैं उठ कर अपने पिता के पास जाऊंगा और उन से कहूँगा, “पिताजी! मैंने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके प्रति पाप किया है। मैं आपका पुत्र कहलाने के योग्य नहीं रहा। मुझे अपने मजदूरों में से एक जैसा रख लीजिए।” ’
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