येशु नगर-नगर, गाँव-गाँव, शिक्षा देते हुए यरूशलेम की ओर आगे बढ़ रहे थे। किसी ने उन से पूछा, “प्रभु! क्या थोड़े ही लोग मुक्ति पाएँगे?” इस पर येशु ने उन से कहा, “संकरे द्वार से प्रवेश करने का पूरा-पूरा प्रयत्न करो, क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ−प्रयत्न करने पर भी बहुत-से लोग प्रवेश नहीं कर पाएँगे। जब घर का स्वामी उठ कर द्वार बन्द कर चुका होगा, तो तुम बाहर रह कर द्वार खटखटाओगे और कहोगे, ‘प्रभु! हमारे लिए खोल दीजिए’। वह तुम्हें उत्तर देगा, ‘मैं नहीं जानता कि तुम कहाँ से आए हो।’ तब तुम कहोगे, ‘हम ने आपके साथ खाया-पीया था और आपने हमारे बाजारों में उपदेश दिया था’। परन्तु वह तुम से कहेगा, ‘मैं नहीं जानता कि तुम कहाँ से आए हो। कुकर्मियो! तुम सब मुझ से दूर हटो।’ जब तुम अब्राहम, इसहाक, याकूब और सभी नबियों को परमेश्वर के राज्य में देखोगे, परन्तु अपने को बहिष्कृत पाओगे, तब तुम रोओगे और दाँत पीसोगे। पूर्व तथा पश्चिम से और उत्तर तथा दक्षिण से लोग आएँगे और परमेश्वर के राज्य में भोज में सम्मिलित होंगे। देखो, कुछ जो पिछले हैं, वे अगले हो जाएँगे और कुछ जो अगले हैं, वे पिछले हो जाएँगे।”
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