लूकस 12:35-59

लूकस 12:35-59 HINCLBSI

“तुम्‍हारी कमर कसी रहे और तुम्‍हारे दीपक जलते रहें। तुम उन सेवकों के सदृश बनो, जो अपने स्‍वामी की राह देखते रहते हैं कि वह विवाह-भोज से कब लौटेगा, ताकि जब स्‍वामी आ कर द्वार खटखटाये, तो वे तुरन्‍त ही उसके लिए द्वार खोल दें। धन्‍य हैं वे सेवक, जिन्‍हें स्‍वामी आने पर जागता हुआ पाएगा! मैं तुम से सच कहता हूँ : स्‍वामी अपनी कमर कसेगा, उन्‍हें भोजन के लिए बैठाएगा और एक-एक को भोजन परोसेगा। और धन्‍य हैं वे सेवक, जिन्‍हें स्‍वामी रात के दूसरे या तीसरे पहर आने पर भी उसी प्रकार जागता हुआ पाएगा! यह अच्‍छी तरह समझ लो−यदि घर के स्‍वामी को मालूम होता कि चोर किस घड़ी आएगा, तो वह अपने घर में सेंध लगने नहीं देता। तुम भी तैयार रहो, क्‍योंकि जिस घड़ी तुम उसके आने की कल्‍पना भी नहीं करते, उसी घड़ी मानव-पुत्र आ जाएगा।” पतरस ने पूछा, “प्रभु! क्‍या आप यह दृष्‍टान्‍त हमारे लिए कह रहे हैं या सब के लिए?” प्रभु ने कहा, “कौन ऐसा ईमानदार और बुद्धिमान प्रबंधक है, जिसे उसका स्‍वामी अपने सेवक-सेविकाओं पर नियुक्‍त करे ताकि वह निश्‍चित् समय पर उन्‍हें निर्धारित भोजन दे? धन्‍य है वह सेवक, जिसका स्‍वामी लौटने पर उसे ऐसा करता हुआ पाएगा! मैं तुम से सच कहता हूँ, वह उसे अपनी सारी सम्‍पत्ति पर अधिकारी नियुक्‍त करेगा। परन्‍तु यदि वह सेवक अपने मन में कहे, ‘मेरा स्‍वामी आने में देर कर रहा है’ और वह दास-दासियों को पीटने, खाने-पीने और नशेबाजी करने लगे, तो उस सेवक का स्‍वामी ऐसे दिन आएगा, जब वह उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा होगा और ऐसी घड़ी जिसे वह नहीं जानता होगा। तब स्‍वामी उसे कठोर दंड देगा। इस प्रकार उसका अंत वही होगा जो अविश्‍वासियों का होता है। “अपने स्‍वामी की इच्‍छा जान कर भी जिस सेवक ने कुछ तैयार नहीं किया और न उसकी इच्‍छा के अनुसार काम किया, वह बहुत मार खाएगा। परन्‍तु जिसने अनजाने ही मार खाने का काम किया, वह थोड़ी मार खाएगा। जिसे बहुत दिया गया है, उस से बहुत माँगा जाएगा और जिसे बहुत सौंपा गया है, उस से और अधिक ले लिया जाएगा। “मैं पृथ्‍वी पर आग लगाने आया हूँ और मैं कितना चाहता हूँ कि यह अभी धधक उठे! मुझे एक बपतिस्‍मा लेना है और जब तक वह पूर्ण नहीं हो जाता, मैं कितना व्‍याकुल हूँ! “क्‍या तुम लोग समझते हो कि मैं पृथ्‍वी पर शान्‍ति ले कर आया हूँ? मैं तुम से कहता हूँ, नहीं। मैं फूट डालने आया हूँ। क्‍योंकि अब से यदि एक घर में पाँच व्यक्‍ति होंगे, तो उन में फूट होगी। तीन दो के विरुद्ध होंगे और दो तीन के विरुद्ध। वे एक-दूसरे का विरोध करेंगे : पिता अपने पुत्र के विरुद्ध होगा और पुत्र अपने पिता के विरुद्ध। माता अपनी पुत्री के विरुद्ध होगी और पुत्री अपनी माता के विरुद्ध। सास अपनी बहू के विरुद्ध होगी और बहू अपनी सास के विरुद्ध।” येशु ने भीड़ से यह भी कहा, “यदि तुम पश्‍चिम से बादल उमड़ते देखते हो, तो तुरन्‍त कहते हो, ‘वर्षा होने वाली है’ और ऐसा ही होता है। जब दक्षिण की हवा चलती है, तो कहते हो, ‘लू चलेगी’ और ऐसा ही होता है। ढोंगियो! यदि तुम आकाश और पृथ्‍वी के लक्षण पहचान सकते हो, तो इस समय के लक्षण क्‍यों नहीं पहचानते? “तुम स्‍वयं क्‍यों नहीं फैसला कर लेते कि न्‍यायसंगत क्‍या है? जब तुम अपने मुद्दई के साथ दण्‍डाधिकारी के पास जा रहे हो, तो मार्ग में ही उस से समझौता करने की कोशिश करो। कहीं ऐसा न हो कि वह तुम्‍हें न्‍यायाधीश के पास खींच ले जाए और न्‍यायाधीश तुम्‍हें सिपाही के हवाले कर दे और सिपाही तुम्‍हें बन्‍दीगृह में डाल दे। मैं तुम से कहता हूँ, जब तक तुम कौड़ी-कौड़ी न चुका दोगे, तब तक वहाँ से नहीं छूटने पाओगे।”