येशु ने उन से यह भी कहा, “मान लो कि तुम में कोई आधी रात को अपने किसी मित्र के पास जा कर कहे, ‘मित्र, मुझे तीन रोटियाँ उधार दो, क्योंकि मेरा एक मित्र सफर में मेरे यहाँ पहुँचा है और उसे खिलाने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है।’ और वह घर के भीतर से उत्तर दे, ‘मुझे तंग न करो। अब तो द्वार बन्द हो चुका है। मेरे बाल-बच्चे मेरे साथ बिस्तर पर हैं। मैं उठ कर तुम को कुछ नहीं दे सकता।’ मैं तुम से कहता हूँ−वह मित्रता के नाते भले ही उठ कर उसे कुछ न दे, किन्तु उसके लज्जा छोड़कर माँगने के कारण वह उठेगा और उसकी आवश्यकता पूरी करेगा। “मैं तुम से कहता हूँ−माँगो तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा। क्योंकि जो माँगता है, उसे मिलता है; जो ढूँढ़ता है, वह पाता है और जो खटखटाता है, उसके लिए द्वार खोला जाता है। “यदि तुम्हारा पुत्र तुम से मछली माँगे, तो तुम में ऐसा कौन पिता है जो मछली के बदले उसे साँप देगा? अथवा अण्डा माँगे, तो उसे बिच्छू देगा? बुरे होने पर भी यदि तुम अपने बच्चों को सहज ही अच्छी वस्तुएँ देते हो, तो स्वर्गिक पिता अपने माँगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों नहीं देगा?”
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