लूकस 11:37-52

लूकस 11:37-52 HINCLBSI

येशु बोल ही रहे थे कि किसी फरीसी ने उन से यह निवेदन किया, “आप मेरे साथ भोजन करें।” येशु भीतर जा कर भोजन करने बैठे। फरीसी को यह देख कर आश्‍चर्य हुआ कि येशु ने भोजन से पहले हाथ-पैर नहीं धोये। प्रभु ने उससे कहा, “तुम फरीसी लोग कटोरों और थालियों को बाहर से तो माँजते हो, परन्‍तु तुम्‍हारे भीतर लालच और दुष्‍टता भरी है। मूर्खो! जिसने बाहरी भाग बनाया, क्‍या उसी ने भीतरी भाग नहीं बनाया? जो भीतर है, उसमें से दान कर दो, और देखो, सब कुछ तुम्‍हारे लिए शुद्ध हो जाएगा। “फरीसियो! धिक्‍कार है तुम लोगों को! क्‍योंकि तुम पुदीने, सदाब और हर प्रकार के साग का दशमांश तो देते हो; लेकिन न्‍याय और परमेश्‍वर के प्रति प्रेम की उपेक्षा करते हो। तुम्‍हारे लिए उचित तो यह था कि तुम इन्‍हें भी करते रहते और उनकी भी उपेक्षा नहीं करते। फरीसियो! धिक्‍कार है तुम लोगों को! क्‍योंकि तुम सभागृहों में प्रथम आसन और बाजारों में प्रणाम चाहते हो। धिक्‍कार है तुम लोगों को! क्‍योंकि तुम उन कबरों के समान हो, जो दीख नहीं पड़तीं और जिन पर लोग अनजाने ही चलते-फिरते हैं।” इस पर व्‍यवस्‍था के एक आचार्य ने येशु से कहा, “गुरुवर! आप ऐसी बातें कह कर हमारा भी अपमान करते हैं।” येशु ने उत्तर दिया, “व्‍यवस्‍था के आचार्यो! धिक्‍कार है तुम लोगो को भी! क्‍योंकि तुम मनुष्‍यों पर ऐसे बोझ लादते हो जिन्‍हें ढोना कठिन है, परन्‍तु स्‍वयं उन्‍हें उठाने के लिए अपनी एक उँगली भी नहीं लगाते। धिक्‍कार है तुम लोगों को! क्‍योंकि तुम नबियों के लिए मकबरे बनवाते हो, जब कि तुम्‍हारे पूर्वजों ने उनकी हत्‍या की। इस प्रकार तुम अपने पूर्वजों के कर्मों की गवाही देते हो और उन कर्मों से सहमत भी हो, क्‍योंकि उन्‍होंने तो उनकी हत्‍या की और तुम उनके मकबरे बनवाते हो। “इसलिए परमेश्‍वर की प्रज्ञ ने यह कहा, ‘मैं उनके पास नबियों और प्रेरितों को भेजूँगी; वे उन में से कितनों की हत्‍या करेंगे और कितनों पर अत्‍याचार करेंगे। इसलिए संसार के आरम्‍भ से जितने नबियों का रक्‍त बहाया गया है−हाबिल के रक्‍त से ले कर जकर्याह के रक्‍त तक, जो वेदी और मन्‍दिरगर्भ के बीच मारा गया था−उसका हिसाब इस पीढ़ी को चुकाना पड़ेगा। मैं तुम से कहता हूँ, उसका हिसाब इसी पीढ़ी को चुकाना पड़ेगा। “व्‍यवस्‍था के आचार्यो, धिक्‍कार है तुम लोगों को! क्‍योंकि तुम ने ज्ञान की कुंजी ली तो है। पर तुम ने स्‍वयं प्रवेश नहीं किया, और जो प्रवेश कर रहे थे, उन्‍हें रोक दिया।”