लूकस 11:1-28

लूकस 11:1-28 HINCLBSI

एक समय येशु किसी स्‍थान पर प्रार्थना कर रहे थे। प्रार्थना समाप्‍त होने पर उनके एक शिष्‍य ने उनसे कहा, “प्रभु! हमें प्रार्थना करना सिखाइए, जैसे योहन ने अपने शिष्‍यों को सिखाया है।” येशु ने शिष्‍यों से कहा, “जब तुम प्रार्थना करते हो, तब यह कहो : पिता! तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्‍य आए। हमें प्रतिदिन हमारा दैनिक भोजन दिया कर। हमारे पाप क्षमा कर, क्‍योंकि हम भी अपने सब अपराधियों को क्षमा करते हैं और हमें परीक्षा में न डाल।” येशु ने उन से यह भी कहा, “मान लो कि तुम में कोई आधी रात को अपने किसी मित्र के पास जा कर कहे, ‘मित्र, मुझे तीन रोटियाँ उधार दो, क्‍योंकि मेरा एक मित्र सफर में मेरे यहाँ पहुँचा है और उसे खिलाने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है।’ और वह घर के भीतर से उत्तर दे, ‘मुझे तंग न करो। अब तो द्वार बन्‍द हो चुका है। मेरे बाल-बच्‍चे मेरे साथ बिस्‍तर पर हैं। मैं उठ कर तुम को कुछ नहीं दे सकता।’ मैं तुम से कहता हूँ−वह मित्रता के नाते भले ही उठ कर उसे कुछ न दे, किन्‍तु उसके लज्‍जा छोड़कर माँगने के कारण वह उठेगा और उसकी आवश्‍यकता पूरी करेगा। “मैं तुम से कहता हूँ−माँगो तो तुम्‍हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ तो तुम्‍हारे लिए खोला जाएगा। क्‍योंकि जो माँगता है, उसे मिलता है; जो ढूँढ़ता है, वह पाता है और जो खटखटाता है, उसके लिए द्वार खोला जाता है। “यदि तुम्‍हारा पुत्र तुम से मछली माँगे, तो तुम में ऐसा कौन पिता है जो मछली के बदले उसे साँप देगा? अथवा अण्‍डा माँगे, तो उसे बिच्‍छू देगा? बुरे होने पर भी यदि तुम अपने बच्‍चों को सहज ही अच्‍छी वस्‍तुएँ देते हो, तो स्‍वर्गिक पिता अपने माँगने वालों को पवित्र आत्‍मा क्‍यों नहीं देगा?” येशु एक भूत को जो गूँगा था, निकाल रहे थे। भूत के निकलते ही गूँगा मनुष्‍य बोलने लगा और लोग अचम्‍भे में पड़ गये। परन्‍तु उन में से कुछ ने कहा, “यह भूतों के नायक बअलजबूल की सहायता से भूतों को निकालता है।” कुछ लोगों ने येशु की परीक्षा लेने के लिए उन से स्‍वर्ग का कोई चिह्‍न माँगा। परंतु येशु जानते थे कि वे क्‍या सोच रहे हैं। अत: येशु ने उन से कहा, “जिस राज्‍य में फूट पड़ जाती है, वह उजड़ जाता है और घर के घर ढह जाते हैं। यदि शैतान के यहाँ फूट पड़ गई हो, तो उसका राज्‍य कैसे टिका रहेगा? क्‍योंकि तुम कहते हो कि मैं बअलजबूल की सहायता से भूतों को निकालता हूँ। यदि मैं बअलजबूल की सहायता से भूतों को निकालता हूँ, तो तुम्‍हारे पुत्र किसकी सहायता से उन्‍हें निकालते हैं? इसलिए वे तुम लोगों का न्‍याय करेंगे। परन्‍तु यदि मैं परमेश्‍वर की अंगुली से भूतों को निकालता हूँ, तो निस्‍संदेह परमेश्‍वर का राज्‍य तुम्‍हारे पास आ पहुँचा है। “जब बलवान मनुष्‍य हथियार बाँध कर अपने भवन पर पहरा देता है, तो उसकी धन-सम्‍पत्ति सुरक्षित रहती है। किन्‍तु यदि कोई उस से भी अधिक बलवान उस पर टूट पड़े और उसे हरा दे, तो जिन हथियारों पर उसे भरोसा था, वह उन्‍हें उससे छीन लेता और उसकी लूटी धन-सम्‍पत्ति को बाँट देता है। “जो मेरे साथ नहीं है, वह मेरे विरोध में है और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है। “जब अशुद्ध आत्‍मा किसी मनुष्‍य से निकल जाती है, तो वह विश्राम की खोज में सूखे स्‍थानों में भटकती फिरती है। विश्राम न मिलने पर वह कहती है, ‘जहाँ से मैं आई हूँ, वहीं अपने घर वापस जाऊंगी’। लौटने पर वह उस घर को झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया हुआ पाती है। तब वह जाकर अपने से भी अधिक बुरी सात आत्‍माओं को ले आती है और वे उस घर में प्रवेश कर वहीं बस जाती हैं। इस प्रकार उस मनुष्‍य की यह पिछली दशा पहली से भी अधिक बुरी हो जाती है।” येशु ये बातें कह ही रहे थे कि भीड़ में से कोई स्‍त्री उन्‍हें सम्‍बोधित करते हुए ऊंचे स्‍वर से बोल उठी, “धन्‍य है वह गर्भ, जिसने आप को धारण किया और धन्‍य हैं वे स्‍तन जिनका आपने पान किया है!” परन्‍तु येशु ने कहा, “किन्‍तु वे कहीं अधिक धन्‍य हैं, जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।”