लूकस 10:27-37

लूकस 10:27-37 HINCLBSI

उसने उत्तर दिया, “अपने प्रभु परमेश्‍वर को अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण प्राण, सम्‍पूर्ण शक्‍ति और सम्‍पूर्ण बुद्धि से प्रेम करो और अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करो।” येशु ने उससे कहा, “तुमने ठीक उत्तर दिया। यही करो और तुम जीवन प्राप्‍त करोगे।” इस पर व्‍यवस्‍था के आचार्य ने अपने प्रश्‍न की सार्थकता दिखलाने के लिए येशु से पूछा, “लेकिन मेरा पड़ोसी कौन है?” येशु ने उसे उत्तर दिया, “एक मनुष्‍य यरूशलेम से यरीहो नगर जा रहा था। वह डाकुओं से घिर गया। उन्‍होंने उसे लूट लिया और मार-पीट कर तथा अधमरा छोड़ कर चले गये। संयोग से एक पुरोहित उसी मार्ग से जा रहा था। वह उसे देख कर कतरा कर चला गया। इसी प्रकार एक उपपुरोहित आया और उसे देख कर वह भी कतरा कर चला गया। अब एक सामरी यात्री उसके समीप से निकला। उसे देखकर वह दया से द्रवित हो उठा। वह उसके पास गया और उसने उसके घावों पर तेल और दाखरस डाल कर पट्टी बाँधी। तब वह उसे अपनी ही सवारी पर बैठा कर एक सराय में ले गया और उसने उसकी सेवा-सुश्रूषा की। दूसरे दिन उसने चाँदी के दो सिक्‍के निकाल कर सराय के मालिक को दिये और उससे कहा, ‘आप इसकी सेवा-सुश्रूषा करें। यदि कुछ और खर्च हो जाएगा तो मैं लौटने पर आप को चुका दूँगा।” येशु ने व्‍यवस्‍था के आचार्य से पूछा, “तुम्‍हारे विचार में उन तीनों में से कौन डाकुओं के हाथों पड़े उस मनुष्‍य का पड़ोसी सिद्ध हुआ?” उसने उत्तर दिया, “वही जिसने उस पर दया की।” येशु बोले, “जाओ, तुम भी ऐसा ही करो।”