लेवीय व्‍यवस्‍था 13:4-59

लेवीय व्‍यवस्‍था 13:4-59 HINCLBSI

यदि उसके शरीर की त्‍वचा का दाग सफेद है और त्‍वचा के भीतर गहरा नहीं दिखाई देता है, तथा उस भाग के रोएं सफेद नहीं हुए हैं तो पुरोहित रोगग्रस्‍त व्यक्‍ति को सात दिन तक बन्‍द रखेगा। पुरोहित सातवें दिन उसकी जांच करेगा। यदि उसकी दृष्‍टि में रोग ज्‍यों का त्‍यों है, त्‍वचा पर नहीं फैला है तो पुरोहित उसको सात दिन तक और बन्‍द रखेगा। पुरोहित सातवें दिन उसकी पुन: जांच करेगा। यदि रोगग्रस्‍त भाग हलका पड़ गया है, और वह त्‍वचा पर नहीं फैला है तो पुरोहित उसे शुद्ध घोषित करेगा। यह केवल पपड़ी है। वह मनुष्‍य अपने वस्‍त्र धोकर शुद्ध हो जाएगा। परन्‍तु पुरोहित की शुद्धि-घोषणा के हेतु जांच कराने के पश्‍चात् यदि पपड़ी त्‍वचा पर सर्वत्र फैल जाती है तो वह व्यक्‍ति पुरोहित के पास दूसरी बार उपस्‍थित होगा। पुरोहित जांच करेगा। यदि पपड़ी त्‍वचा पर फैल गई है तो पुरोहित उसको अशुद्ध घोषित करेगा। वह कुष्‍ठ जैसा चर्म-रोग है। ‘यदि कोई मनुष्‍य कुष्‍ठ जैसे रोग से पीड़ित है तो वह पुरोहित के पास लाया जाएगा। पुरोहित जाँच करेगा। यदि उसकी त्‍वचा पर सफेद-सी सूजन है, जिसने रोओं को भी सफेद कर दिया है, और सूजन पर चर्महीन मांस दिखाई देता है तो यह उसके शरीर की त्‍वचा पर पुराना कुष्‍ठ जैसा रोग है। पुरोहित उस व्यक्‍ति को अशुद्ध घोषित करेगा। वह उसे बन्‍द नहीं रखेगा; क्‍योंकि वह अशुद्ध है। यदि चर्मरोग त्‍वचा पर, रोगी की सारी त्‍वचा पर, सिर से पैर तक, जहाँ तक पुरोहित देख सकता है, फूट पड़ा है तो पुरोहित जांच करेगा। यदि चर्म-रोग उसके सारे शरीर पर फैल गया है तो वह रोगी को शुद्ध घोषित करेगा। उसका सारा शरीर सफेद हो गया है, और वह शुद्ध है। किन्‍तु जब उसके शरीर पर चर्महीन मांस दिखाई दे तब वह अशुद्ध होगा। पुरोहित चर्महीन मांस की जांच करेगा और उसको अशुद्ध घोषित करेगा। चर्महीन मांस अशुद्ध है; क्‍योंकि वह कुष्‍ठ जैसा रोग है। परन्‍तु यदि चर्महीन मांस बदल जाए, सफेद हो जाए तब वह व्यक्‍ति पुरोहित के पास आएगा। पुरोहित जांच करेगा। यदि रोग पुन: सफेद हो गया है, तो पुरोहित रोगी व्यक्‍ति को शुद्ध घोषित करेगा। वह शुद्ध है। जब किसी व्यक्‍ति की त्‍वचा पर फोड़ा निकल आए पर वह अच्‍छा हो जाए और फोड़े के स्‍थान पर सफेद सूजन अथवा लाली लिए हुए सफेद दाग हो तब उसे पुरोहित को दिखाया जाएगा। पुरोहित जांच करेगा। यदि सूजन त्‍वचा के भीतर गहरी दिखाई देगी, उस स्‍थान के रोएं सफेद हो गए होंगे, तो पुरोहित उस व्यक्‍ति को अशुद्ध घोषित करेगा। यह कुष्‍ठ जैसा रोग है और फोड़े में फूटा है। परन्‍तु यदि पुरोहित उसकी जांच करके देखेगा कि उसके रोएं सफेद नहीं हैं, वह त्‍वचा के भीतर गहरा नहीं है, वरन् हल्‍का है तो पुरोहित उस व्यक्‍ति को सात दिन तक बन्‍द रखेगा। यदि रोग त्‍वचा पर सर्वत्र फैल जाता है तो पुरोहित उसे अशुद्ध घोषित करेगा। यह रोग है। किन्‍तु यदि दाग ज्‍यों का त्‍यों रहता है और वह नहीं फैलता है तो यह फोड़े का दाग है। तब पुरोहित उसे शुद्ध घोषित करेगा। ‘अथवा, यदि किसी व्यक्‍ति की त्‍वचा पर जलने का घाव है, और इस घाव का चर्महीन मांस लाली लिए हुए सफेद अथवा केवल सफेद दाग हो जाता है, तो पुरोहित उसकी जांच करेगा। यदि दाग के स्‍थान के रोएं सफेद हो गए हैं, वह त्‍वचा के भीतर गहरा दिखाई देता है तो यह कुष्‍ठ जैसा रोग है; और ज्‍वलन के घाव में फूटा है। पुरोहित उस व्यक्‍ति को अशुद्ध घोषित करेगा। यह कुष्‍ठ जैसा रोग है। किन्‍तु यदि पुरोहित उसकी जांच करके देखता है कि दाग के स्‍थान के रोएं सफेद नहीं हैं, और दाग त्‍वचा के भीतर गहरा नहीं है, वरन् हल्‍का है तो पुरोहित उस व्यक्‍ति को सात दिन तक बन्‍द रखेगा। पुरोहित सातवें दिन उसकी जांच करेगा। यदि दाग त्‍वचा पर सर्वत्र फैल रहा है तो पुरोहित उस व्यक्‍ति को अशुद्ध घोषित करेगा। यह कुष्‍ठ जैसा रोग है। किन्‍तु यदि दाग ज्‍यों का त्‍यों रहता है, और वह त्‍वचा पर नहीं फैलता है वरन् हल्‍का रहता है, तो यह ज्‍वलन की सूजन है। पुरोहित उस व्यक्‍ति को शुद्ध घोषित करेगा; क्‍योंकि यह ज्‍वलन का दाग है। ‘जब किसी पुरुष अथवा स्‍त्री के सिर या ठुड्डी में रोग दिखाई दे तो पुरोहित उस रोग की जांच करेगा। यदि वह त्‍वचा के भीतर गहरा दिखाई देगा, और उसके बाल पीले तथा पतले होंगे तो पुरोहित उस पुरुष या स्‍त्री को अशुद्ध घोषित करेगा। यह सिर अथवा ठुड्डी का चर्म-रोग, अर्थात् खाज है। यदि पुरोहित खाज-रोग की जांच करके देखता है कि वह त्‍वचा के भीतर गहरी नहीं है, उस पर काले बाल भी नहीं हैं तो पुरोहित खाज के रोगी को सात दिन बन्‍द रखेगा। पुरोहित सातवें दिन रोग की जांच करेगा। यदि खाज नहीं फैली है, खाज ग्रस्‍त भाग के बाल पीले नहीं हुए हैं, और खाज त्‍वचा के भीतर गहरी नहीं दिखाई देती है, तो वह व्यक्‍ति दाढ़ी बनाएगा; किन्‍तु वह खाज ग्रस्‍त भाग को नहीं मूंड़ेगा। पुरोहित खाज के रोगी को सात दिन और बन्‍द रखेगा। पुरोहित सातवें दिन खाज की जांच करेगा। यदि खाज त्‍वचा पर नहीं फैली है, और वह त्‍वचा के भीतर गहरी नहीं दिखाई देती है तो पुरोहित उस व्यक्‍ति को शुद्ध घोषित करेगा। वह व्यक्‍ति अपने वस्‍त्र धोएगा और शुद्ध हो जाएगा। यदि उसकी शुद्धि के पश्‍चात् भी खाज त्‍वचा पर सर्वत्र फैलती है, तो पुरोहित उसकी जांच करेगा। यदि खाज त्‍वचा पर फैल गई है तो पुरोहित पीले बालों की खोज नहीं करेगा। वह व्यक्‍ति अशुद्ध है। परन्‍तु यदि उसकी दृष्‍टि में खाज ज्‍यों की त्‍यों है, उस स्‍थान पर काले बाल उग आए हैं, तो खाज अच्‍छी हो गई है और वह व्यक्‍ति शुद्ध है। पुरोहित उस व्यक्‍ति को शुद्ध घोषित करेगा। ‘जब किसी पुरुष अथवा स्‍त्री के शरीर की त्‍वचा पर सफेद दाग हों तब पुरोहित जांच करेगा। यदि त्‍वचा के दाग हलके सफेद हैं तो यह दाद है जो त्‍वचा में फूटी है। वह व्यक्‍ति शुद्ध है। ‘यदि किसी पुरुष के सिर के बाल झड़ गए हैं तो वह गंजा है, पर शुद्ध है। यदि किसी पुरुष के माथा और कनपटी के बाल झड़ गए हैं तो उसका गंजापन माथे का है, किन्‍तु वह शुद्ध है। यदि उसके गंजे सिर अथवा गंजे माथे पर लाली लिए हुए सफेद दाग है तो यह कुष्‍ठ जैसा रोग है जो गंजे सिर अथवा गंजे माथे में फूटा है। पुरोहित उसकी जांच करेगा। यदि उसके गंजे सिर अथवा गंजे माथे पर रोग की सूजन शरीर की त्‍वचा के कुष्‍ठ-रोग के समान लाली लिए हुए सफेद है तो वह कुष्‍ठ-रोगी के समान चर्म-रोगी है; वह अशुद्ध है। पुरोहित उसको निश्‍चय ही अशुद्ध घोषित करेगा। उसके सिर पर रोग है। ‘कुष्‍ठ जैसे रोग का रोगी फटे वस्‍त्र पहनेगा। उसके सिर के बाल बिखरे रहेंगे। वह उपरले ओंठ को ढांपकर पुकारेगा, “अशुद्ध! अशुद्ध!!” जितने दिन तक उसमें रोग रहेगा, वह व्यक्‍ति अशुद्ध माना जाएगा। वह अशुद्ध है। वह पड़ाव के बाहर, अकेला निवास करेगा। जब कुष्‍ठ-रोग जैसे दाग वस्‍त्र में हों, चाहे वह ऊनी या सूती हो; सूत अथवा ऊन के ताना-बाना में हों; चमड़े में अथवा चमड़े की बनी किसी वस्‍तु में हों, तब यदि दाग वस्‍त्र में, चाहे ताना-बाना में, चमड़े में अथवा चमड़े की बनी किसी वस्‍तु में हरा या लाल दिखाई दे तो यह कुष्‍ठ-रोग जैसा दाग है और उसे पुरोहित को दिखाना होगा। पुरोहित दाग की जांच करेगा। वह दाग वाली वस्‍तु को सात दिन तक बन्‍द रखेगा। वह सातवें दिन दाग की पुन: जांच करेगा। यदि दाग वस्‍त्र, ताना-बाना, चमड़े या चमड़े की किसी वस्‍तु में फैल गया है, तो यह गलित कुष्‍ठ-रोग जैसा दाग है। वह वस्‍तु अशुद्ध है। वह दाग-वाले वस्‍त्र को, चाहे वह ऊनी अथवा सूती हो, चाहे उसके ताना-बाना में दाग हो, अथवा चमड़े की कोई वस्‍तु में हो, इन सब को जला देगा, क्‍योंकि यह गलित कुष्‍ठ-रोग जैसा दाग है; प्रत्‍येक वस्‍तु आग में जलाई जाएगी। ‘यदि पुरोहित जांच करके देखता है कि दाग वस्‍त्र, ताना-बाना, अथवा चमड़े की किसी वस्‍तु में नहीं फैला है तब वह आदेश देगा कि लोग दाग वाली वस्‍तु को धोएं। तत्‍पश्‍चात् पुरोहित उस वस्‍तु को और सात दिन तक बन्‍द रखेगा। पुरोहित दाग वाली वस्‍तु की, उसके धोने के पश्‍चात् जांच करेगा। यदि दाग का रंग नहीं बदला है, यद्यपि दाग नहीं फैला है, तो भी वह वस्‍तु अशुद्ध मानी जाएगी। तुम उसको आग में जलाना, चाहे कुष्‍ठ-रोग जैसा दाग पीछे हो अथवा आगे। ‘किन्‍तु यदि पुरोहित जांच करके देखता है कि धोने के पश्‍चात् रोग जैसा दाग हल्‍का पड़ गया है तो वह वस्‍त्र, चमड़े अथवा ताना-बाना से दागी भाग को फाड़ देगा। यदि दाग वस्‍त्र, ताना-बाना अथवा चमड़े की कोई वस्‍तु में पुन: दिखाई देता है तो वह रोग के सदृश फैल रहा है। तुम दागवाली वस्‍तु को आग में जलाना। वस्‍त्र, ताना-बाना अथवा चमड़े की कोई वस्‍तु जिसे धोने के पश्‍चात् दाग निकल गया है, पुन: धोई जाएगी। तब वह शुद्ध होगी।’ ऊनी, या सूती वस्‍त्र में, या ताना-बाना में, या चमड़े की किसी भी वस्‍तु में कुष्‍ठ-रोग जैसे दाग होने पर उसको शुद्ध या अशुद्ध घोषित करने की यही व्‍यवस्‍था है।