लेवीय व्‍यवस्‍था 1:3-17

लेवीय व्‍यवस्‍था 1:3-17 HINCLBSI

‘यदि कोई व्यक्‍ति गाय-बैलों में से अग्‍नि-बलि चढ़ाता है, तो उसे निष्‍कलंक नर पशु चढ़ाना होगा। वह उसे मिलन-शिविर के द्वार पर चढ़ाएगा जिससे वह प्रभु के सम्‍मुख ग्रहण किया जाए। वह अग्‍नि-बलि के पशु के सिर पर अपना हाथ रखेगा, और अग्‍नि-बलि उसके प्रायश्‍चित्त के रूप में ग्रहण की जाएगी। वह बछड़े को प्रभु के सम्‍मुख बलि करेगा। तब पुरोहित, हारून के पुत्र, रक्‍त को निकट लाकर, मिलन-शिविर के द्वार पर स्‍थित वेदी के चारों ओर उसको छिड़केंगे। वह अग्‍नि-बलि के पशु की खाल उतार लेगा और मांस के टुकड़े-टुकड़े करेगा। पुरोहित हारून के पुत्र, वेदी पर अग्‍नि प्रज्‍वलित करेंगे, और अग्‍नि पर लकड़ी सजाकर रखेंगे। वे वेदी की अग्‍नि पर रखी हुई लकड़ी के ऊपर सिर और चर्बी सहित उन टुकड़ों को सजाकर रखेंगे; पर वह पशु की अंतड़ियों और पैरों को जल से धोएगा। पुरोहित अग्‍नि-बलि के लिए, प्रभु को अग्‍नि में अर्पित सुखद सुगन्‍ध के रूप में, सम्‍पूर्ण बलि को वेदी पर जलाएगा। ‘यदि वह रेवड़ में से भेड़ अथवा बकरों की अग्‍नि-बलि चढ़ाता है तो उसे निष्‍कलंक नर पशु चढ़ाना होगा। वह उसको प्रभु के सम्‍मुख वेदी के उत्तरी भाग में बलि करेगा। पुरोहित, हारून के पुत्र, उसके रक्‍त को वेदी के चारों ओर छिड़केंगे। वह उसके टुकड़े-टुकड़े करेगा, उसके सिर और चर्बी को अलग-अलग करेगा। पुरोहित वेदी की अग्‍नि पर रखी हुई लकड़ी के ऊपर उन टुकड़ों को सजाकर रखेगा; पर वह पशु की अंतड़ियों और पैरों को जल से धोएगा। पुरोहित सम्‍पूर्ण बलि को चढ़ाएगा, और वेदी पर उसको जलाएगा। यह अग्‍नि-बलि प्रभु को अग्‍नि में अर्पित सुखद सुगन्‍ध है। ‘यदि वह प्रभु को पक्षी की अग्‍नि-बलि चढ़ाता है तो चढ़ावे में पण्‍डुकों अथवा कबूतर के बच्‍चों को चढ़ाएगा। पुरोहित उसको वेदी के निकट लाएगा और मरोड़कर उसका सिर धड़ से अलग करेगा और उसे वेदी पर जलाएगा। उसका रक्‍त वेदी की एक ओर बह जाएगा। तत्‍पश्‍चात् वह उसके मल तथा परों को वेदी के पूर्व दिशा में, राख डालने के स्‍थान में, फेंक देगा। वह उसको पंखों के बीच से फाड़ेगा; पर वह उसे पूरा अलग-अलग नहीं करेगा। तब पुरोहित उसको वेदी की अग्‍नि की लकड़ी पर रखकर जलाएगा। यह अग्‍नि-बलि प्रभु को अग्‍नि में अर्पित सुखद सुगन्‍ध है।