यहोशुअ 9:7-15

यहोशुअ 9:7-15 HINCLBSI

परन्‍तु इस्राएली सैनिकों ने उन हिव्‍वी लोगों से कहा, ‘हो सकता है, तुम हमारे क्षेत्र में ही रहते हो। तब हम तुम्‍हारे साथ सन्‍धि क्‍यों करें?’ उन्‍होंने यहोशुअ को उत्तर दिया, ‘हम आपके सेवक हैं।’ यहोशुअ ने उनसे पूछा, ‘तुम कौन हो? कहाँ से आए हो?’ तब उन्‍होंने उससे यह कहा, ‘हम आपके सेवक, आपके प्रभु परमेश्‍वर का नाम सुनकर बहुत दूर देश से आए हैं। जो कार्य उसने मिस्र देश में किया है, उसके विषय में हमने सुना है। इसके अतिरिक्‍त यर्दन नदी की पूर्व दिशा के एमोरी जाति के दो राजाओं, हेश्‍बोन नगर के राजा सीहोन और अश्‍तारोत नगर में रहनेवाले बाशान के राजा ओग, के साथ किए गए आप के प्रभु के व्‍यवहार के विषय में भी हमने सुना है। इसलिए हमारे देश के निवासियों और वृद्धजनों ने हमसे कहा कि हम अपने हाथ में मार्ग के लिए भोजन-सामग्री लें। हम आपके पास जाएं और आपसे भेंट करें, और आपसे यह आवेदन करें, “हम आपके सेवक हैं। अब हमारे साथ सन्‍धि कीजिए।” देखिए, यात्रा के लिए यह हमारी रोटी है। जिस दिन हमने आप से भेंट करने के लिए अपने घर से प्रस्‍थान किया था तब यह गर्म और ताजा थी। पर अब, देखिए, यह सूख गई। इसमें फफूंद लग गई। जब हमने इन मशकों में शराब भरी थी तब ये नई थीं। पर अब, देखिए, ये फट गईं। हमारे ये कपड़े और जूते लम्‍बी यात्रा के कारण जर्जर हो गए।’ अत: इस्राएली सैनिकों ने उनका भोजन स्‍वीकार किया। उन्‍होंने भोजन स्‍वीकार करने के पूर्व प्रभु का निर्देश नहीं मांगा। यहोशुअ ने उन्‍हें अभयदान दे दिया। उसने उनके साथ सन्‍धि स्‍थापित कर ली कि वे जीवित रह सकेंगे। इस्राएली मंडली के नेताओं ने शपथ खाकर सन्‍धि का अनुमोदन कर दिया।