यहोशुअ 6:1-15

यहोशुअ 6:1-15 HINCLBSI

इस्राएलियों के कारण यरीहो नगर में मोर्चाबन्‍दी कर ली गई। प्रवेश-द्वार बन्‍द कर दिए गए। कोई भी व्यक्‍ति नगर के भीतर न आ सकता था, और न नगर के बाहर जा सकता था। प्रभु ने यहोशुअ से कहा, ‘देख, मैं यरीहो नगर, उसके राजा और उसके योद्धाओं को तेरे हाथ में दे रहा हूँ। तू और तेरे सैनिक दिन में एक बार पूरे नगर की परिक्रमा करेंगे। तू छ: दिन तक ऐसा ही करना। सात पुरोहित मेढ़े के सींग से बने सात नरसिंघे लेकर विधान-मंजूषा के आगे-आगे जाएंगे। पर तुम सातवें दिन सात बार नगर की परिक्रमा करना और पुरोहित नरसिंघे फूंकें। वे अन्‍त में जोर से नरसिंघा फूंकें। ज्‍यों ही तुम नरसिंघे की आवाज सुनो त्‍यों ही सब लोग जोर से युद्ध का नारा लगाएं। तब यरीहो नगर का परकोटा धंस जाएगा, और हरएक व्यक्‍ति अपनी आंखों की सीध में चढ़ जाएगा।’ यहोशुअ बेन-नून ने पुरोहितों को बुलाया और उनसे यह कहा, ‘विधान-मंजूषा उठाओ। तुम में से सात पुरोहित मेढ़े के सींग के सात नरसिंघे उठाकर विधान-मंजूषा के आगे-आगे जाएंगे।’ उसने इस्राएली लोगों से कहा, ‘आगे बढ़ो! नगर की परिक्रमा करो। अग्रगामी सैन्‍यदल प्रभु की मंजूषा के सामने रहेगा।’ यहोशुअ के आदेश के अनुसार सात पुरोहित आगे बढ़े। वे प्रभु के सम्‍मुख मेढ़े के सींग के सात नरसिंघे उठाए हुए थे। वे नरसिंघे फूंकने लगे। प्रभु की विधान-मंजूषा उनके पीछे चल रही थी। नरसिंघा फूंकनेवाले पुरोहितों के आगे अग्रगामी सैन्‍यदल था। चन्‍दावल सैन्‍यदल मंजूषा के पीछे चल रहा था। इस्राएली आगे बढ़ते गए। पुरोहित नरसिंघे फूंक रहे थे। यहोशुअ ने इस्राएली लोगों को यह आदेश दिया, ‘युद्ध का नारा मत लगाना। तुम्‍हारी आवाज भी सुनाई नहीं देनी चाहिए। तुम्‍हारे मुंह से शब्‍द भी नहीं निकलना चाहिए। जिस दिन मैं तुम्‍हें युद्ध का नारा लगाने को कहूंगा, उस दिन ही तुम युद्ध का नारा लगाना।’ इस प्रकार यहोशुअ ने प्रभु की मंजूषा से एक बार नगर की परिक्रमा कराई। तब वे पड़ाव में लौट आए, और वहाँ रात व्‍यतीत की। यहोशुअ बड़े सबेरे उठा। पुरोहितों ने प्रभु की मंजूषा उठाई। प्रभु की मंजूषा के आगे-आगे मेढ़े के सींग के सात नरसिंघे वहन करने वाले सात पुरोहित नरसिंघे फूंकते हुए चले। अग्रगामी सैन्‍यदल उनके आगे चल रहा था। चन्‍दावल सैन्‍यदल प्रभु की मंजूषा के पीछे चल रहा था। नरसिंघे निरन्‍तर बज रहे थे। वे दूसरे दिन फिर एक बार नगर की परिक्रमा कर पड़ाव में लौट आए। ऐसा उन्‍होंने छ: दिन तक किया। वे सातवें दिन पौ फटते ही उठे। उन्‍होंने पूर्व ढंग से नगर की परिक्रमा की; पर उस दिन उन्‍होंने सात बार नगर की परिक्रमा की।