मैंने तुम्हें ऐसा देश दिया, जिसकी भूमि पर तुमने परिश्रम नहीं किया। मैंने तुम्हें ऐसे नगर दिए, जिनका निर्माण तुमने नहीं किया, पर तुम उनमें निवास करते हो। तुम ऐसे अंगूर के उद्यान और जैतून के वृक्षों के फल खाते हो, जिनको तुमने नहीं लगाया।
‘इसलिए हे इस्राएलियो, अब प्रभु की भक्ति करो। निष्कपट भाव और सच्चाई से उसकी सेवा करो। जिन देवताओं की आराधना तुम्हारे पूर्वज मसोपोतामिया और मिस्र देश में करते थे, उन्हें भूल जाओ और केवल प्रभु की आराधना करो। यदि प्रभु की आराधना करना तुम्हें अपनी दृष्टि में बुरा लगता है तो तुम्हें आज ही इस बात का निर्णय करना होगा कि तुम किसकी आराधना करोगे : क्या उन देवताओं की आराधना करोगे, जिनकी आराधना तुम्हारे पूर्वज मसोपोतामिया में करते थे? या एमोरी जाति के देवताओं की आराधना करोगे जिसके देश में तुम निवास कर रहे हो? जहां तक मेरा और मेरे परिवार का प्रश्न है, हम प्रभु ही की आराधना करेंगे।’
इस्राएली लोगों ने उत्तर दिया ‘प्रभु हमें क्षमा करें!’ उन्होंने कहा, ‘प्रभु को त्याग कर अन्य देवताओं की आराधना करने का विचार हम कभी नहीं करेंगे। हमारा प्रभु परमेश्वर ही हमें तथा हमारे पूर्वजों को मिस्र देश से, दासत्व के घर से बाहर निकाल लाया है। उसने हमारी आंखों के सामने कितने आश्चर्यपूर्ण कार्य करके अद्भुत चिह्न दिखाए। जिस-जिस मार्ग पर हम चले, जिन-जिन जातियों के देशों में से हम गुजरे, उन सब में प्रभु ने ही हमारी रक्षा की। प्रभु ने ही सब जातियों को, इस देश में रहनेवाली एमोरी जाति को हमारे सामने से निकाला है। हम भी प्रभु की आराधना करेंगे; क्योंकि वह हमारा परमेश्वर है।’
यहोशुअ ने लोगों से कहा, ‘तुम प्रभु की आराधना नहीं कर सकते; क्योंकि वह पवित्र परमेश्वर है। वह ईष्र्यालु परमेश्वर है। वह तुम्हारे अपराधों और पापों को नहीं क्षमा करेगा। यदि तुम प्रभु को त्यागकर अन्य जातियों के देवताओं की आराधना करोगे तो वह तुमसे विमुख हो जाएगा। वह तुम्हारी भलाई करने के पश्चात् भी तुम्हारा अनिष्ट कर सकता है। तुम्हें पूर्णत: नष्ट कर सकता है।’ पर इस्राएली लोगों ने यहोशुअ से कहा, ‘नहीं, नहीं! हम प्रभु ही की आराधना करेंगे।’ यहोशुअ ने कहा, ‘तुम स्वयं इस बात के गवाह हो कि तुमने ही प्रभु की आराधना करने का निर्णय किया है।’ उन्होंने कहा, ‘हम गवाह हैं!’ यहोशुअ ने कहा, ‘तब तुम अन्य जातियों के देवताओं की मूर्तियां, जो तुम्हारे मध्य स्थापित हैं, हटा दो; और इस्राएल के प्रभु परमेश्वर की ओर अपना हृदय लगाओ।’ लोगों ने यहोशुअ से कहा ‘हम अपने प्रभु परमेश्वर की आराधना करेंगे, और उसकी वाणी को सुनेंगे।’ अत: यहोशुअ ने उस दिन इस्राएली लोगों के लिए एक विधान स्थापित किया। उसने वहां शकेम में, संविधियों और न्यास-सिद्धान्त निश्चित किए। उसने ये बातें परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक में लिखीं। तत्पश्चात् उसने एक बड़ा पत्थर उठाया, और उसको प्रभु के निवास-स्थान में बांज वृक्ष के नीचे प्रतिष्ठित किया। यहोशुअ ने सब लोगों से कहा, ‘देखो! यह पत्थर हमारा गवाह है। जो बातें प्रभु ने हमसे कही हैं, उन सब को इस पत्थर ने सुना है। इसलिए यदि तुम अपने प्रभु परमेश्वर को धोखा दोगे तो यह पत्थर तुम्हारे विरुद्ध साक्षी देगा।’ उसके बाद यहोशुअ ने सब लोगों को विदा कर दिया। प्रत्येक व्यक्ति अपने पैतृक भूमि-भाग को लौट गया।