वह अंधकार का, घोर अंधकार का दिन है। उस दिन बादल छा जाएंगे, और सघन अंधकार फैल जाएगा। गहन कालिमा के सदृश शक्तिशाली असंख्य टिड्डी-सेना पहाड़ी पर बिछी है। ऐसी सेना प्राचीनकाल में न हुई थी, और न इसके पश्चात् आगामी पीढ़ियों में कभी होगी। सेना का अग्रिम दस्ता आग है, और पश्च दस्ता ज्वाला! उसके आने के पूर्व अदन-वाटिका के सदृश देश हरा-भरा था; उसके जाने के बाद वह निर्जन, उजाड़ हो गया। टिड्डियों ने कुछ भी नहीं छोड़ा। टिड्डियों के सिर ऐसे दिखाई दे रहे हैं, मानो अश्व आ रहे हैं। युद्ध के घोड़ों के समान टिड्डी-दल दौड़ रहे हैं। वे पहाड़ों की चोटियों पर कूद रहे हैं। उनके पंखों की सरसराहट रथों की खड़खड़ाहट जैसी सुनाई दे रही है; अथवा आग में धधकती खूँटियों की चटचटाहट है। टिड्डी-दल मानो युद्ध में पंिक्तबद्ध असंख्य सेना है। उनके सम्मुख लोग व्यथित हो गए, सब के चेहरे पीले पड़ गए। योद्धा के सदृश वे आक्रमण करते, सैनिकों के समान वे दीवार पर चढ़ते हैं। प्रत्येक टिड्डी-दल अपने मार्ग पर जाता है; वह अपना मार्ग नहीं बदलता। वह मार्ग में दूसरे से टकराता नहीं, सब अपने-अपने मार्ग पर चलते हैं। वे अस्त्र-शस्त्रों की बौछार को भेदते हैं, और उन्हें कोई रोक नहीं पाता। वे नगर पर टूट पड़ते, वे दीवारों पर दौड़ते हैं। वे मकानों पर चढ़ते, और चोर के समान खिड़कियों से घर के भीतर घुस जाते हैं। उनके सम्मुख पृथ्वी थर्राती है, आकाश कांपता है। सूर्य और चन्द्रमा काले पड़ गए, तारे बुझ गए। प्रभु अपनी सेना के सम्मुख गरजता है। उसकी सेना महाविशाल है। प्रभु के आदेश का पालन करनेवाली सेना शक्तिशाली है। प्रभु का दिन महान और अति आतंकमय है। उसको कौन सह सकता है? प्रभु का यह सन्देश है : ‘अब भी तुम पूर्ण हृदय से उपवास करते, शोक मनाते और रोते हुए मेरे पास लौटो। पश्चात्ताप करने के लिए अपने वस्त्र नहीं, वरन् अपना हृदय विदीर्ण करो।’ ओ यहूदा देश, अपने प्रभु परमेश्वर की ओर लौट। वह कृपालु और दयालु है। वह विलम्ब क्रोधी और महा करुणा सागर है। वह दु:ख देकर पछताता है। कौन जानता है, प्रभु लौटे और पछताए, और अपने पीछे आशिष छोड़ जाए? तब तुम अपने प्रभु परमेश्वर को अन्नबलि और पेयबलि चढ़ा सकोगे।
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