अय्‍यूब 6:24-30

अय्‍यूब 6:24-30 HINCLBSI

‘मित्रो, मुझे बताओ कि मेरी भूल क्‍या है। तब मैं चुप रहूंगा; मुझे समझाओ कि मैंने किस बात में गलती की है। सीधे-सादे शब्‍दों में कितनी शक्‍ति होती है! किन्‍तु तुम्‍हारी डांट-फटकार से क्‍या लाभ? तुम शब्‍दों की बाजीगरी दिखाते हो, तुम सोचते हो कि केवल तुम्‍हारे शब्‍द ही सच हैं, और उसके शब्‍द मात्र हवा हैं, जो निराशा में डूबा है। तुम पितृहीन बच्‍चे पर, चिट्ठी डाल कर, उसको गुलाम बना सकते हो; तुम अपने मित्र तक का सौंदा कर सकते हो! ‘कृपया, अब मेरी ओर देखो; मैं तुमसे झूठ नहीं बोलूंगा। सच्‍चाई की ओर लौटो, और विचार करो, जिससे मेरे साथ अन्‍याय न हो। कृपया पुन: सच्‍चाई से सोचो, मैंने अपने पक्ष में जो कहा है, वह सच है। क्‍या मेरी जीभ छल-कपट की बातें करती है? क्‍या मेरा विवेक भले और बुरे की पहचान नहीं कर सकता?