योहन 6:60-68

योहन 6:60-68 HINCLBSI

यह सुनकर उनके बहुत-से शिष्‍यों ने कहा, “यह तो कठोर शिक्षा है। इसे कौन मान सकता है?” येशु ने मन में जाना कि मेरे शिष्‍य इस पर भुनभुना रहे हैं, तो उन्‍होंने उन से कहा, “क्‍या तुम इसी से विचलित हो रहे हो? जब तुम मानव-पुत्र को वहाँ आरोहण करते देखोगे, जहाँ वह पहले था, तो क्‍या कहोगे? आत्‍मा ही जीवन प्रदान करता है, शरीर से कुछ लाभ नहीं होता। मैंने तुम से जो वचन कहे हैं, वे आत्‍मा और जीवन हैं। फिर भी तुम में से अनेक मुझ पर विश्‍वास नहीं करते।” येशु तो प्रारम्‍भ से ही यह जानते थे कि कौन मुझ पर विश्‍वास नहीं करते और कौन मेरे साथ विश्‍वासघात करेगा। उन्‍होंने कहा, “इसलिए मैंने तुम लोगों से कहा था कि जब तक पिता से यह वरदान न मिले, कोई मेरे पास नहीं आ सकता।” इसके पश्‍चात् येशु के बहुत-से शिष्‍य पीछे हट गये और उन्‍होंने उनका साथ छोड़ दिया। इसलिए येशु ने बारहों से कहा, “क्‍या तुम लोग भी चले जाना चाहते हो?” सिमोन पतरस ने उन्‍हें उत्तर दिया, “प्रभु! हम किसके पास जाएँ! आपके पास शाश्‍वत जीवन के वचन हैं।