योहन 6:4-14

योहन 6:4-14 HINCLBSI

यहूदियों का पास्‍का [फसह] पर्व निकट था। येशु ने अपनी आँखे ऊपर उठायीं और देखा कि एक विशाल जनसमूह उनकी ओर आ रहा है। उन्‍होंने फिलिप से यह कहा, “हम इन्‍हें खिलाने के लिए कहाँ से रोटियाँ खरीदें?” उन्‍होंने फिलिप की परीक्षा लेने के लिए यह कहा। वह तो जानते ही थे कि वह क्‍या करेंगे। फिलिप ने उन्‍हें उत्तर दिया, “दो सौ चाँदी के सिक्‍कों की रोटियाँ भी इतनी नहीं होंगी कि हर एक को थोड़ी-थोड़ी मिल सके।” उनके शिष्‍यों में से एक, सिमोन पतरस के भाई अन्‍द्रेयास ने कहा, “यहाँ एक लड़के के पास जौ की पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ हैं, पर यह इतने लोगों के लिए क्‍या है?” येशु ने कहा, “लोगों को बैठा दो।” उस जगह बहुत घास थी। लोग बैठ गये। पुरुषों की संख्‍या लगभग पाँच हजार थी। येशु ने रोटियाँ ले लीं और परमेश्‍वर को धन्‍यवाद देकर बैठे हुए लोगों में उन्‍हें वितरित किया। इसी प्रकार मछलियाँ भी, जितनी वे चाहते थे, वितरित कीं। जब लोग खा कर तृप्‍त हो गये, तब येशु ने अपने शिष्‍यों से कहा, “बचे हुए टुकड़े बटोर लो, जिससे कुछ भी बरबाद न हो।” इसलिए शिष्‍यों ने उन्‍हें बटोर लिया और उन टुकड़ों से बारह टोकरियाँ भर लीं, जो लोगों के खाने के बाद जौ की पाँच रोटियों से बच गये थे। लोग येशु का यह आश्‍चर्यपूर्ण कार्य देख कर बोल उठे, “निश्‍चय ही यह वह नबी हैं, जो संसार में आने वाले थे।”