योहन 6:22-58

योहन 6:22-58 HINCLBSI

जो लोग झील के उस पार रह गये थे, उन्‍होंने दूसरे दिन देखा था कि वहाँ केवल एक ही नाव थी और येशु अपने शिष्‍यों के साथ उस नाव पर सवार नहीं हुए थे− उनके शिष्‍य अकेले ही चले गये थे। अब तिबेरियस नगर की ओर से कुछ अन्‍य नावें उस स्‍थान के समीप आईं जहाँ प्रभु येशु की धन्‍यवाद की प्रार्थना के बाद लोगों ने रोटी खायी थी। जब जनसमूह ने देखा कि वहाँ न तो येशु हैं और न उनके शिष्‍य ही, तो वे नावों पर सवार हुए और येशु को खोजते हुए कफरनहूम नगर की ओर गये। उन्‍होंने झील पार की और येशु को वहाँ पा कर उन से कहा, “गुरुजी! आप यहाँ कब आए?” येशु ने उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ; तुम मुझे इस लिए नहीं खोज रहे हो कि तुम ने आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न देखा, बल्‍कि इसलिए कि तुम ने पेट भर रोटियाँ खाई हैं। नश्‍वर भोजन के लिए नहीं, बल्‍कि उस भोजन के लिए परिश्रम करो, जो शाश्‍वत जीवन तक बना रहता है और जिसे मानव-पुत्र तुम्‍हें देगा; क्‍योंकि पिता परमेश्‍वर ने मानव-पुत्र पर अपनी स्‍वीकृति की मोहर लगाई है।” लोगों ने उन से पूछा, “परमेश्‍वर के कार्य करने के लिए हम क्‍या करें?” येशु ने उत्तर दिया, “परमेश्‍वर का कार्य यह है कि जिसे उसने भेजा है, उसमें विश्‍वास करो।” लोगों ने उन से कहा, “आप हमें कौन-सा चिह्‍न दिखा सकते हैं, जिसे देख कर हम आप में विश्‍वास करें? आप क्‍या कर सकते हैं? हमारे पूर्वजों ने निर्जन प्रदेश में मन्ना खाया था, जैसा कि लिखा है : ‘उसने खाने के लिए उन्‍हें स्‍वर्ग से रोटी दी।’ ” येशु ने उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : मूसा ने तुम्‍हें स्‍वर्ग से रोटी नहीं दी थी। मेरा पिता तुम्‍हें स्‍वर्ग से सच्‍ची रोटी दे रहा है। परमेश्‍वर की रोटी तो वह है, जो स्‍वर्ग से उतर कर संसार को जीवन प्रदान करती है।” लोगों ने येशु से कहा, “प्रभु! आप हमें सदा वही रोटी दिया करें।” उन्‍होंने उत्तर दिया, “जीवन की रोटी मैं हूँ। जो मेरे पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्‍वास करता है, उसे कभी प्‍यास नहीं लगेगी। फिर भी, जैसा कि मैंने तुम से कहा, तुम मुझे देख कर भी विश्‍वास नहीं करते। पिता जिन्‍हें मुझ को सौंप देता है, वे सब मेरे पास आएँगे और जो मेरे पास आता है, मैं उसे कभी बाहर नहीं निकालूँगा; क्‍योंकि मैं अपनी इच्‍छा नहीं, बल्‍कि जिसने मुझे भेजा, उसकी इच्‍छा पूरी करने के लिए स्‍वर्ग से उतरा हूँ। जिसने मुझे भेजा, उसकी इच्‍छा यह है कि जिन्‍हें उसने मुझे सौंपा है, मैं उन में से एक को भी नष्‍ट न होने दूँ, बल्‍कि उन सब को अन्‍तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँ। मेरे पिता की इच्‍छा यह है कि जो पुत्र को देखे और उस में विश्‍वास करे, उसे शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त हो। मैं उसे अन्‍तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा।” येशु ने कहा था, “स्‍वर्ग से उतरी हुई रोटी मैं हूँ।” इस पर यहूदी लोग यह कहते हुए भुनभुनाने लगे, “क्‍या यह यूसुफ का पुत्र येशु नहीं है? हम इसके माँ-बाप को जानते हैं। तो अब यह कैसे कह सकता है, ‘मैं स्‍वर्ग से उतरा हूँ’?” येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “आपस में मत भुनभुनाओ। जब तक पिता, जिसने मुझे भेजा है, आकर्षित न करे, कोई मेरे पास नहीं आ सकता है; और मैं उसे अंतिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा। नबी-ग्रन्‍थों में लिखा है ,‘वे सब परमेश्‍वर से शिक्षा पाएँगे।’ जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है, वह मेरे पास आता है। “यह न समझो कि किसी ने पिता को देखा है; केवल उसी ने पिता को देखा है, जो परमेश्‍वर की ओर से आया है। मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जो विश्‍वास करता है, उसे शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त है। जीवन की रोटी मैं हूँ। तुम्‍हारे पूर्वजों ने निर्जन प्रदेश में मन्ना खाया; फिर भी वे मर गये। मैं जिस रोटी के विषय में कहता हूँ, वह स्‍वर्ग से उतरती है और जो उसे खाता है, वह नहीं मरता। स्‍वर्ग से उतरी हुई वह जीवन्‍त रोटी मैं हूँ। यदि कोई इस रोटी में से खायेगा, तो वह सदा जीवित रहेगा। और जो रोटी मैं दूँगा, वह मेरी देह है जो मैं संसार के जीवन के लिए अर्पित करूँगा।” इस पर वे यहूदी लोग आपस में वाद-विवाद करने लगे, “यह हमें खाने के लिए अपनी देह कैसे दे सकता है?” इसलिए येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ; यदि तुम मानव-पुत्र की देह नहीं खाओगे और उसका रक्‍त नहीं पियोगे, तो तुम में जीवन नहीं होगा। जो मेरी देह खाता और मेरा रक्‍त पीता है, उसे शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त है और मैं उसे अन्‍तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा; क्‍योंकि मेरी देह सच्‍चा भोजन है और मेरा रक्‍त सच्‍चा पेय। जो मेरी देह खाता और मेरा रक्‍त पीता है, वह मुझ में रहता है और मैं उसमें। जिस तरह जीवन्‍त पिता ने मुझे भेजा है और मुझे पिता से जीवन मिलता है, उसी तरह जो मुझे खाता है, उस को मुझ से जीवन मिलेगा। यही वह रोटी है जो स्‍वर्ग से उतरी है। यह उस रोटी के सदृश नहीं है, जो पूर्वजों ने खायी थी। वे तो मर गये; किन्‍तु जो यह रोटी खाएगा, वह सदा जीवित रहेगा।”