तब वह यहूदा प्रदेश छोड़ कर फिर गलील प्रदेश को चले गए। उन्हें सामरी प्रदेश हो कर जाना था। अत: वह सामरी प्रदेश के सुखार नामक नगर पहुँचे। यह नगर उस भूमि के निकट है, जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था। वहाँ याकूब का कुआँ है। येशु यात्रा से थक गये थे, इसलिए वह कुएँ के पास यों ही बैठ गये। यह लगभग दोपहर का समय था। एक सामरी स्त्री पानी भरने आयी। येशु ने उससे कहा, “मुझे पानी पिलाओ।” क्योंकि उनके शिष्य नगर में भोजन खरीदने गये थे। यहूदी लोग सामरियों से कोई सम्बन्ध नहीं रखते। इसलिए सामरी स्त्री ने येशु से कहा, “यह क्या कि आप यहूदी हो कर भी मुझ सामरी स्त्री से पीने के लिए पानी माँग रहे हैं?” येशु ने उत्तर दिया, “यदि तुम परमेश्वर का वरदान पहचानती और यह जानती कि वह कौन है, जो तुम से कह रहा है, ‘मुझे पानी पिलाओ’, तो तुम उससे माँगती और वह तुम्हें संजीवन जल देता।”
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