योहन 2:1-12

योहन 2:1-12 HINCLBSI

तीसरे दिन गलील प्रदेश के काना नगर में एक विवाह था। येशु की माता वहीं थी। येशु और उनके शिष्‍य भी विवाह में निमन्‍त्रित थे। दाखरस कम पड़ने पर येशु की माता ने उन से कहा, “उन लोगों के पास दाखरस नहीं है।” येशु ने उत्तर दिया, “हे नारी, मुझे आप यह क्‍यों बता रही हैं? अभी मेरा समय नहीं आया है।” उनकी माता ने सेवकों से कहा, “वह तुम लोगों से जो कुछ कहें, वही करना।” वहाँ यहूदियों के शुद्धीकरण के लिए पत्‍थर के छ: मटके रखे थे। प्रत्‍येक मटके में सौ, सवा-सौ लिटर पानी समाता था। येशु ने सेवकों से कहा, “मटकों में पानी भर दो।” सेवकों ने उन्‍हें लबालब भर दिया। फिर येशु ने उन से कहा, “अब निकाल कर भोज के प्रबन्‍धक के पास ले जाओ।” उन्‍होंने ऐसा ही किया। प्रबन्‍धक ने वह पानी चखा, जो दाखरस बन गया था। उसे मालूम नहीं था कि यह दाखरस कहाँ से आया है। किन्‍तु जिन सेवकों ने पानी निकाला था, वे जानते थे। इसलिए प्रबन्‍धक ने दूल्‍हे को बुलाया और उससे कहा, “सब कोई पहले बढ़िया दाखरस देते हैं, और लोगों के पूर्ण तृप्‍त हो जाने पर घटिया। आपने बढ़िया दाखरस अब तक रख छोड़ा है।” येशु ने अपना यह पहला आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न गलील के काना नगर में दिखाया। इस प्रकार उन्‍होंने अपनी महिमा प्रकट की और उनके शिष्‍यों ने उन में विश्‍वास किया। इसके बाद येशु अपनी माता, अपने भाइयों और अपने शिष्‍यों के साथ कफरनहूम नगर को गये और वहाँ कुछ दिन रहे।

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