योहन 19:28-42

योहन 19:28-42 HINCLBSI

तब येशु ने यह जान कर कि अब सब कुछ पूरा हो चुका है, धर्मग्रन्‍थ का लेख पूरा करने के उद्देश्‍य से कहा, “मैं प्‍यासा हूँ।” वहाँ अम्‍लरस से भरा एक पात्र रखा हुआ था। उन्‍होंने उसमें एक पनसोख्‍ता डुबाया और उसे जूफे की डण्‍डी पर रख कर येशु के मुख से लगा दिया। येशु ने अम्‍लरस ग्रहण कर कहा, “सब पूरा हुआ।” और सिर झुका कर अपना प्राण त्‍याग दिया। यह विश्राम-दिवस से पूर्व तैयारी का दिन था। यहूदी धर्मगुरु यह नहीं चाहते थे कि शरीर विश्राम के दिन क्रूस पर टंगे रहें; क्‍योंकि वह विश्राम-दिवस त्‍योहार के कारण एक प्रमुख दिन था। इसलिए उन्‍होंने पिलातुस से निवेदन किया कि उन व्यक्‍तियों की टाँगें तोड़ दी जाएँ और उनके मृत शरीर हटा दिये जाएँ। इसलिए सैनिकों ने आ कर येशु के साथ क्रूस पर चढ़ाए हुए पहले व्यक्‍ति की टाँगें तोड़ दीं, फिर दूसरे की। जब उन्‍होंने येशु के पास आ कर देखा कि वह मर चुके हैं, तो उन्‍होंने उनकी टाँगें नहीं तोड़ीं; लेकिन एक सैनिक ने उनकी पसली में भाला मारा और उसमें से तुरन्‍त रक्‍त और जल बह निकला। जिसने यह देखा है, उसने इसकी साक्षी दी है और उसकी साक्षी सच्‍ची है। वह जानता है कि वह सच बोल रहा है, जिससे आप भी विश्‍वास करें। यह इसलिए हुआ कि धर्मग्रन्‍थ का यह कथन पूरा हो जाए, “उसकी एक भी हड्डी नहीं तोड़ी जाएगी;” फिर धर्मग्रन्‍थ का एक दूसरा कथन इस प्रकार है, “उन्‍होंने जिसे बेधा है वे उसी की ओर देखेंगे।” इसके पश्‍चात् अरिमतियाह गाँव के यूसुफ ने, जो यहूदी धर्मगुरुओं के भय के कारण येशु का गुप्‍त शिष्‍य था, पिलातुस से येशु के शरीर को उतार लेने की अनुमति माँगी। पिलातुस ने अनुमति दे दी। अत: यूसुफ आ कर येशु के शरीर को ले गया। निकोदेमुस भी पहुँचा, जो पहले रात के समय येशु से मिलने आया था। वह लगभग तैंतीस किलो गन्‍धरस और अगरु का सम्‍मिश्रण लाया। उन्‍होंने येशु का शरीर लिया और यहूदियों की गाड़ने की प्रथा के अनुसार, उसे सुगन्‍धित द्रव्‍यों के साथ पट्टियों में लपेटा। जहाँ येशु क्रूस पर चढ़ाए गये थे, वहाँ एक उद्यान था और उस उद्यान में एक नयी कबर थी, जिस में अब तक कोई नहीं रखा गया था। उन्‍होंने येशु को वहीं रख दिया, क्‍योंकि यह यहूदियों के लिए विश्राम-दिवस की तैयारी का दिन था और वह कबर निकट ही थी।