“मैंने तुम से यह सब इसलिए कहा है कि तुम विचलित न हो। वे तुम्हें सभागृहों से निकाल देंगे। इतना ही नहीं, वह समय आ रहा है, जब तुम्हारी हत्या करने वाला यह समझेगा कि वह परमेश्वर की सेवा कर रहा है। वे यह इसलिए करेंगे कि उन्होंने न तो पिता को जाना है और न मुझ को। किन्तु मैंने तुम से यह इसलिए कहा है कि जब इनका समय आए तो तुम्हें यह स्मरण रहे कि मैंने तुम्हें उनके बारे में पहले ही बता दिया था। “मैंने आरम्भ में तुम लोगों को ये बातें नहीं बताईं, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ था। अब मैं उसके पास जा रहा हूँ, जिसने मुझे भेजा है और तुम में से कोई मुझ से यह नहीं पूछता कि आप कहाँ जा रहे हैं। मैंने तुम्हें ये बातें बताई हैं, इसलिए तुम्हारा हृदय शोक से भर गया है। फिर भी मैं तुम से सच कहता हूँ : तुम्हारा कल्याण इसमें है कि मैं चला जाऊं। यदि मैं नहीं जाऊंगा, तो सहायक तुम्हारे पास नहीं आएगा। यदि मैं जाऊंगा, तो मैं उसे तुम्हारे पास भेजूँगा। जब वह आएगा, तो पाप, धार्मिकता और दण्डाज्ञा के विषय में संसार को दोषी सिद्ध कर देगा − पाप के विषय में, क्योंकि वे मुझ में विश्वास नहीं करते; धार्मिकता के विषय में, क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ और तुम मुझे फिर न देखोगे; दण्डाज्ञा के विषय में, क्योंकि इस संसार का अधिपति दोषी ठहराया जा चुका है। “मुझे तुम से और बहुत कुछ कहना है, परन्तु अभी तुम वह नहीं सह सकते। जब वह, अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तब वह सम्पूर्ण सत्य में तुम्हारा मार्गदर्शन करेगा; क्योंकि वह अपनी ओर से नहीं कहेगा, बल्कि वह जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा और तुम्हें आने वाली बातों के विषय में बताएगा। वह मुझे महिमान्वित करेगा, क्योंकि उसे मेरी ओर से जो मिला है, वह तुम्हें वही बताएगा। जो कुछ पिता का है, वह मेरा है। इसलिये मैंने कहा कि उसे मेरी ओर से जो मिला है, वह तुम्हें वही बताएगा।
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