योहन 11:47-57

योहन 11:47-57 HINCLBSI

तब महापुरोहितों और फरीसियों ने धर्म-महासभा बुला कर कहा, “हम क्‍या करें? यह मनुष्‍य बहुत आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न दिखा रहा है। यदि हम उसे ऐसा करते रहने देंगे, तो सब उसमें विश्‍वास कर लेंगे और रोमन लोग आ कर हमारा मन्‍दिर और हमारी जाति को नष्‍ट कर देंगे।” उन में से एक ने, जिसका नाम काइफा था और जो उस वर्ष प्रधान महापुरोहित था, उन से कहा, “आप लोग कुछ भी नहीं जानते और न आप समझते हैं कि आपका कल्‍याण इसमें है कि जनता के लिए केवल एक मनुष्‍य मरे और समस्‍त जाति नष्‍ट न हो।” उसने यह बात अपनी ओर से नहीं कही। किन्‍तु उसने उस वर्ष के प्रधान महापुरोहित के रूप में नबूवत की कि येशु यहूदी जाति के लिए मरेंगे और न केवल यहूदी जाति के लिए, बल्‍कि इसलिए भी कि वह परमेश्‍वर की बिखरी हुई सन्‍तान को एकत्र कर एक करें। उसी दिन से वे येशु को मार डालने का षड्‍यन्‍त्र रचने लगे। इसलिए येशु ने उस समय से यहूदा प्रदेश में प्रकट रूप से आना-जाना बन्‍द कर दिया। वह निर्जन प्रदेश के निकटवर्ती क्षेत्र के एफ्रइम नामक नगर को चले गये और वहाँ अपने शिष्‍यों के साथ रहने लगे। यहूदियों का पास्‍का (फसह) पर्व निकट था। बहुत लोग पर्व से पहले अपने-आप को शुद्ध करने के लिए देहात से यरूशलेम आए। वे येशु को ढूँढ़ रहे थे और मन्‍दिर में खड़े हुए आपस में बात कर रहे थे, “आपका क्‍या विचार है? क्‍या वह पर्व के लिए नहीं आ रहे हैं?” महापुरोहितों और फरीसियों ने येशु को गिरफ्‍तार करने के उद्देश्‍य से यह आदेश दिया था कि यदि किसी व्यक्‍ति को मालूम हो जाए कि येशु कहाँ हैं, तो वह इसकी सूचना उनको दे।