योहन 11:17-57

योहन 11:17-57 HINCLBSI

वहाँ पहुँचने पर येशु को पता चला कि लाजर को कबर में दफनाए चार दिन हो चुके हैं। बेतनियाह यरूशलेम के समीप, लगभग तीन किलोमीटर दूर था। इसलिए भाई की मृत्‍यु पर संवेदना प्रकट करने के लिए यहूदा प्रदेश के बहुत-से लोग मार्था और मरियम से मिलने आए थे। ज्‍यों ही मार्था ने यह सुना कि येशु आ रहे हैं, वह उन से मिलने गयी। किन्‍तु मरियम घर में ही बैठी रही। मार्था ने येशु से कहा, “प्रभु! यदि आप यहाँ होते, तो मेरा भाई नहीं मरता। और मैं जानती हूँ कि आप अब भी परमेश्‍वर से जो कुछ मागेंगे, परमेश्‍वर आप को वही प्रदान करेगा।” येशु ने उस से कहा, “तुम्‍हारा भाई फिर जी उठेगा।” मार्था ने उत्तर दिया, “मैं जानती हूँ कि वह अन्‍तिम दिन पुनरुत्‍थान के समय फिर जी उठेगा”। येशु ने कहा, “पुनरुत्‍थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्‍वास करता है, वह मरने पर भी जीवित रहेगा और जो जीवित है, तथा मुझ में विश्‍वास करता है, वह कभी नहीं मरेगा। क्‍या तुम इस बात पर विश्‍वास करती हो?” उसने उत्तर दिया, “हाँ, प्रभु! मैं विश्‍वास करती हूँ कि आप ही मसीह, परमेश्‍वर के पुत्र हैं, जो संसार में आने वाले थे।” वह यह कह कर चली गयी और अपनी बहिन मरियम को बुला कर उसने चुपके से उससे कहा, “गुरुवर यहाँ हैं और तुम को बुला रहे हैं।” यह सुनते ही वह उठ खड़ी हुई और येशु से मिलने गयी। येशु अब तक गाँव नहीं पहुँचे थे। वह उसी स्‍थान पर थे, जहाँ मार्था उन से मिली थी। जो लोग संवेदना प्रकट करने के लिए मरियम के साथ घर में थे, वे यह देख कर कि वह अचानक उठ कर बाहर चली गयी, उसके पीछे हो लिये; क्‍योंकि उन्‍होंने समझा कि वह कबर पर रोने जा रही है। मरियम उस जगह पहुँची, जहाँ येशु थे। उन्‍हें देखते ही वह उनके चरणों पर गिर पड़ी और बोली, “प्रभु! यदि आप यहाँ होते, तो मेरा भाई नहीं मरता।” येशु, उसे और उसके साथ आए हुए लोगों को रोते देख कर, बहुत व्‍याकुल हो उठे और गहरी साँस ले कर बोले, “तुम लोगों ने उसे कहाँ रखा है?” उन्‍होंने कहा, “प्रभु! आइए और देखिए।” येशु रो पड़े। इस पर लोगों ने कहा, देखो! यह उसे कितना प्‍यार करते थे”; किन्‍तु उनमें से कुछ बोले, “इन्‍होंने तो अन्‍धे की आँखें खोलीं। क्‍या वह इतना नहीं कर सके कि यह मनुष्‍य नहीं मरता?” येशु ने फिर गहरी साँस ली और कबर पर आए। वह कबर एक गुफा थी, जिसके मुँह पर पत्‍थर रखा हुआ था। येशु ने कहा, “पत्‍थर हटा दो।” मृतक की बहिन मार्था ने उन से कहा, “प्रभु! अब उसमें से दुर्गन्‍ध आती होगी; क्‍योंकि उसे मरे चार दिन हो चुके हैं।” येशु ने उसे उत्तर दिया, “क्‍या मैंने तुम से यह नहीं कहा कि यदि तुम विश्‍वास करोगी, तो परमेश्‍वर की महिमा देखोगी?” इस पर लोगों ने पत्‍थर हटा दिया। येशु ने आँखें ऊपर उठा कर कहा, “पिता! मैं तुझे धन्‍यवाद देता हूँ; तूने मेरी प्रार्थना सुन ली है। मैं जानता था कि तू सदा मेरी प्रार्थना सुनता है। किन्‍तु मैंने आसपास खड़े लोगों के कारण ऐसा कहा है, जिससे वे विश्‍वास करें कि तूने मुझे भेजा है।” यह कह कर येशु ने ऊंचे स्‍वर से पुकारा, “लाजर! बाहर निकल आओ!” मृतक बाहर निकल आया। उसके हाथ और पैर पट्टियों से बंधे हुए थे और उसके मुख पर अंगोछा लपेटा हुआ था। येशु ने लोगों से कहा, “इसके बन्‍धन खोल दो और इसे जाने दो।” जो लोग मरियम से मिलने आए थे और जिन्‍होंने येशु का यह कार्य देखा, उनमें से बहुतों ने येशु में विश्‍वास किया। परन्‍तु उनमें से कुछ व्यक्‍तियों ने फरीसियों के पास जा कर बताया कि येशु ने क्‍या किया है। तब महापुरोहितों और फरीसियों ने धर्म-महासभा बुला कर कहा, “हम क्‍या करें? यह मनुष्‍य बहुत आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न दिखा रहा है। यदि हम उसे ऐसा करते रहने देंगे, तो सब उसमें विश्‍वास कर लेंगे और रोमन लोग आ कर हमारा मन्‍दिर और हमारी जाति को नष्‍ट कर देंगे।” उन में से एक ने, जिसका नाम काइफा था और जो उस वर्ष प्रधान महापुरोहित था, उन से कहा, “आप लोग कुछ भी नहीं जानते और न आप समझते हैं कि आपका कल्‍याण इसमें है कि जनता के लिए केवल एक मनुष्‍य मरे और समस्‍त जाति नष्‍ट न हो।” उसने यह बात अपनी ओर से नहीं कही। किन्‍तु उसने उस वर्ष के प्रधान महापुरोहित के रूप में नबूवत की कि येशु यहूदी जाति के लिए मरेंगे और न केवल यहूदी जाति के लिए, बल्‍कि इसलिए भी कि वह परमेश्‍वर की बिखरी हुई सन्‍तान को एकत्र कर एक करें। उसी दिन से वे येशु को मार डालने का षड्‍यन्‍त्र रचने लगे। इसलिए येशु ने उस समय से यहूदा प्रदेश में प्रकट रूप से आना-जाना बन्‍द कर दिया। वह निर्जन प्रदेश के निकटवर्ती क्षेत्र के एफ्रइम नामक नगर को चले गये और वहाँ अपने शिष्‍यों के साथ रहने लगे। यहूदियों का पास्‍का (फसह) पर्व निकट था। बहुत लोग पर्व से पहले अपने-आप को शुद्ध करने के लिए देहात से यरूशलेम आए। वे येशु को ढूँढ़ रहे थे और मन्‍दिर में खड़े हुए आपस में बात कर रहे थे, “आपका क्‍या विचार है? क्‍या वह पर्व के लिए नहीं आ रहे हैं?” महापुरोहितों और फरीसियों ने येशु को गिरफ्‍तार करने के उद्देश्‍य से यह आदेश दिया था कि यदि किसी व्यक्‍ति को मालूम हो जाए कि येशु कहाँ हैं, तो वह इसकी सूचना उनको दे।